सनातन धर्म पर विवादित बयान देने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है. तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान पर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि डीएमके नेता ए राजा के बिगड़े बोल सामने आ गए. ए राजा सनातन धर्म विरोधी बयान लगातार दिए जा रहे हैं. राजा ने पहले सनातन की तुलना एड्स से की थी इसके बाद इसे विश्व के लिे कतरा बताया है.
सनातन धर्म की एड्स और कुष्ठ रोग से तुलना किए जाने के बाद अब एक टीवी कार्यक्रम में ए राजा ने सनातन धर्म को दुनिया के लिए खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है. राजा ने कहा कि जाति नाम की वैश्विक बीमारी दुनिया भर में फैली हुई है जिसका कारण भारत है, जाति के नाम पर लोगों को बांटा गया, इसका सामाजिक भेदभाव के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता है.
बता दें कि ए राजा के बयान का वीडियो तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. वीडियो में ए राजा कहते दिख रहे हैं कि भारत जातियों के नाम पर वैश्विक बीमारी का कारण है, जाति के नाम पर हिंदू धर्म का प्रचार हो रहा है जो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है.
बता दें इससे पहले ए राजा ने सनातन धर्म की तुलना एचआईवी से की थी. ए राजा ने कहा कि 'सनातन धर्म सामाजिक बीमारी है, यह कुष्ठ रोग और एचआईवी से भी ज्यादा घातक है.
बता दें इससे पहले पिछले दिनों तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) की युवा इकाई के सचिव एवं राज्य के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर एक विवादित बयान दिया. उन्होंने सनातन धर्म को ‘समानता एवं सामाजिक न्याय’ के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसका उन्मूलन किया जाना चाहिए. उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया, और डेंगू वायरस एवं मच्छरों से होने वाले बुखार से करते हुए कहा कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि इन्हें समाप्त कर देना चाहिए.
बहरहाल लोकसभा का चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है दक्षिण भारत के नेताओं का सनातन धर्म संबंधी बयान देने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है है तो इसका कारण है कि ईवी रामासामी नायकर जो पेरियार के नाम से प्रसिद्ध हैं, ने ब्राह्मण विरोधी नफरत को एक विचारधारा में बदल डाला और इस मंच को ‘द्रविड़ार कझगम’ नाम दिया, पेरियार की राजनीति पिछड़ी जातियों के गौरव और सशक्तीकरण को उभारने में मुफीद बैठती है, क्योंकि इसने संख्या के हिसाब से राजनीतिक रूप से गौण ब्राह्मणों को नस्लीय ‘विजातीय’ में तब्दील कर दिया. इसलिए सनातन विरोधी बयान तथाकथित द्रविड़ राजनीति की जातीय नफरत आधारित संकीर्ण चाल के रुप में देखा जा सकता है.