PATNA: मोतिहारी सदर अस्पताल में 4.5 करोड़ के दवा घोटाले केस के आरोपी ठाठ से नौकरी कर रहे. स्वास्थ्य विभाग ने वैसे सरकारी सेवकों पर कोई कार्रवाई नहीं की. केस के लपेटे में आये सदर अस्पताल व सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मी एक तरफ अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट का रूख किए हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ महत्वपूर्ण फाईलों का निबटारा भी कर रहे हैं. बता दें, 2017 में तत्कालीन सिविल सर्जन समेत कई कर्मियों के खिलाफ घोटाले की प्राथमिकी दर्ज हुई थी. बताया जाता है कि पुलिसिया जांच में कई अन्य कर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जांच रिपोर्ट में नाम आने के बाद सदर अस्पताल/सिविल सर्जन कार्यालय के संदिग्ध स्वास्थ्य कर्मी अग्रिम जमानत के लिए 6 मई 2024 को मोतिहारी जिला जज की अदालत में पहुंचे.14 जून को अग्रिम जमानत पर सुनवाई थी. हालांकि शुक्रवार को कोई डिसीजन नहीं हो सका. अब दवा घोटाले के इस मामले में अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट पहुंचे सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय सिन्हा व अन्य के खिलाफ केस की सुनवाई 22 जून को होगी.
अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट की शरण में....
मोतिहारी सदर अस्पताल में करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये के दवा घोटाले के मामले में नया मोड आ गया है. नामजद आरोपियों को 2017-18 में ही पटना हाईकोर्ट से थोड़ी देर के लिए रिलीफ मिला था. अब 2024 में इस केस में नया नाम जुड़ गया है. सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक संजय सिन्हा अग्रिम जमानत के लिए मोतिहारी जिला अदालत पहुंच गए हैं. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, दवा घोटाले मामले में प्रधान लिपिक संजय सिन्हा व अन्य की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. पुलिस अनुसंधान में नाम आने के बाद संजय सिन्हा व अन्य ने अग्रिम जमानत के लिए न्यायालय की शरण में पहुंचे हैं. मोतिहारी नगर थाना केस संख्या 232-2017 में लिपिक संजय सिन्हा व अन्य ने 6 मई को जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई है. जिसमें 27 मई को सुनवाई हुई थी. अगली सुनवाई 14 जून को हुई लेकिन कोई डिसीजन नहीं हो सका और 22 जून की तारीख दी गई है. देखना होगा कि अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होती है या फिर बेल मिलता है.
घोटाले में नाम आने के बाद भी महत्वपूर्ण पद पर बने हैं....
हालांकि इतने बड़े घोटाले में नाम आने के बाद भी वे सभी महत्वपूर्ण जिम्मा संभाल रहे हैं. इतने बड़े घोटाले में संदिग्ध भूमिका के बाद भी सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक पर तीन-तीन फाईल का जिम्मा दिया गया है. बताया जाता है कि संजय सिन्हा प्रधान लिपिक के साथ-साथ एक पीएचसी के लिपिक के चार्ज में हैं. साथ ही पोस्टमार्टम की भी फाईल डील कर रहे.घोटाले के आरोपी सरकारी सेवक ठाट से ड्यूटी बजा रहे हैं और महत्वपूर्ण फाइलों को निबटा रहे हैं. यह भी अपने आप में गंभीर इश्यू है.
4.50 करोड़ के घोटाले की दर्ज हुई थी प्राथमिकी
बता दें, मोतिहारी के तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ प्रशांत कुमार ने 5 अप्रैल 2017 को नगर थाना में केस दर्ज कराया था. दवा घोटाला करीब चार करोड़ 50 लाख 77 हजार रुपये का है.प्राथमिकी के अनुसार, बगैर किसी आदेश के आपूर्तिकर्ता कंपनी की ओर से करीब छह करोड़ की दवा आपूर्ति की गयी. जांच के दौरान भंडार में करीब 85 लाख सात हजार की दवा मिली. अनुलग्नक के अनुसार, जब भुगतान किया गया है वह ड्यू वाउचर के आधार पर किया गया है. हस्ताक्षर वाउचर पर है, लेकिन पंजी में उसका उल्लेख नहीं है.
मामले को लेकर तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ मीरा वर्मा शाही कॉलोनी हाजीपुर, डॉ यूएस पाठक तत्कालीन भण्डार चिकित्सक, भुनेश्वर श्रीवास्तव तत्कालीन प्रधान लिपिक डामोदरपुर गोविन्दगंज, ब्रह्मपुरा मुजफ्फरपुर निवासी मनोज कुमार व तुरकौलिया, वर्तमान में बेलबनवा निवासी अमित कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. सिविल सर्जन ने इन अधिकारियों व कर्मियों की मिलीभगत से बगैर दवा खरीद उक्त राशि के भुगतान का आरोप लगाया था. निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य विभाग डॉ आरडी रंजन ने पूर्व में प्राथमिकी का निर्देश दिया था. प्राथमिकी के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था.