बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार में नशीली सूई के प्रकोप से युवाओं में बढ़ रहा है एचआईवी., हेपेटाईटिस ’बी’ एवं हेपेटाईटिस ’सी’ का संक्रमण, डा. दिवाकर तेजस्वी ने नशे को बताया सामाजिक मुद्दा

बिहार में नशीली सूई के प्रकोप से युवाओं में बढ़ रहा है एचआईवी., हेपेटाईटिस ’बी’ एवं हेपेटाईटिस ’सी’ का संक्रमण, डा. दिवाकर तेजस्वी ने नशे को बताया सामाजिक मुद्दा

PATNA  :  आज अन्तर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस के पूर्व संध्या पर पब्लिक अवेयरनेस फॉर हेल्थफुल एपरोच फॉर लिविंग (पहल) के तत्वाधान में निःशुल्क जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन एक्जीविशन रोड स्थित नेमा पैलेस में किया गया। इस अवसर पर ‘‘पहल’’ के चिकित्सा निदेशक एवं वरिष्ठ फिजिशिन डा. दिवाकर तेजस्वी ने बिहार में युवाओं के बीच तेजी से बढ़ रहे नशे के प्रचलन के प्रति गहरी चिंता व्यक्त की, साथ ही युवाओं एवं उनके परिवारों को नशे के ’स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताया। 

डा. तेजस्वी ने बताया कि नशे के सेवन से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ता है। नशे के सेवन से हृदय रोग, लिवर की समस्याएं, फेफड़ों के रोग, और मानसिक विकार जैसे अवसाद और चिंता बढ़ सकती है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं के मस्तिष्क पर नशे के प्रभाव पर जोर दिया, जो उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का थीम है-  ‘‘साक्ष्य स्पष्ट हैः रोकथाम में निवेश करें।’’

      इस अवसर पर डॉ तेजस्वी ने बताया कि नशे के दुष्प्रभावों के बारे में व्यापक शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है ताकि युवा इसके खतरों से अवगत हो सकें, परिवार के सदस्यों का सहयोग और समर्थन नशे से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवार को अपने बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए और उनके व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए, नशा छोड़ने के लिए काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराना आवश्यक है। 

इससे नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति को आवश्यक सहायता और मार्गदर्शन मिल सकता है एवं युवाओं को खेल, संगीत, कला आदि सकारात्मक गतिविधियों में संलग्न करना चाहिए ताकि उनका ध्यान नशे से हट सके।  डॉ तेजस्वी ने बताया कि नशा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक मुद्दा है जिसे सामूहिक प्रयास से ही दूर किया जा सकता है।            

Suggested News