पूर्वी चंपारण सीटः BJP कैंडिडेट को अपनों ने दिया धोखा, तथाकथित 'भीष्म पितामह' गुट ने बबलू गुप्ता को हराने को जी-जान लगा दिया

PATNA:  बिहार विधानपरिषद की 24 सीटों पर चुनाव संपन्न हो गया। सात अप्रैल को काउंटिग है, जिसमें हार-जीत का फैसला होगा।  इस बार के चुनाव में कई सीटों पर प्रत्याशियों को भीतरघात का सामना करना पड़ा है। पूर्वीचंपारण सीट पर बीजेपी कैंडिडेट को गैरों से अधिक अपनों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। जानकार बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी की अगर हार होती है तो इसमें अपनों का हाथ होगा। 

अपनों ने दिया धोखा!

पूर्वी चंपारण सीट पर इस बार भाजपा ने फिर से बबलू गुप्ता को टिकट दिया था। राजद ने बबलू देव को मैदान में उतारा । वहीं पूर्व विधायक महेश्वर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे। इन्हें कांग्रेस व अन्य दलों ने समर्थन दिया। लेकिन जो बड़ी जानकारी है वो यह कि भाजपा प्रत्याशी को इस बार के चुनाव में  अपनों ने नुकसान पहुंचाने की कोई कसर नहीं छोड़ी। बताया जाता है कि एक बड़े नेता व उनके गुट की तरफ से इस रणनीति पर काम किया गया। मोतिहारी के तथाकथित भीष्ण पितामह व उनके गुट की तरफ से पहले तो बीजेपी कैंडिडेट को बेटिकट करने की पूरी कोशिश की गई। इसके लिए दिल्ली से लेकर पटना तक खूब पसीना बहाया गया। लेकिन इसमें सफळता नहीं मिली। भाजपा नेतृत्व ने इस गुट की मांग को सिरे से खारिज कर दिया और बबलू गुप्ता को ही चुनावी मैदान में उतारा। नेतृत्व ने तथाकथित भीषण पितामह व एक वजीर साहब को भाजपा कैंडिडेट की जीत के लिए काम करने को कहा। नेतृत्व के फऱमान के बाद दोनों नेता एक-दो दिन क्षेत्र में काम किया, फिर अदृ्श्य हो गये।

'भीष्म पितामह' गुट का मिशन फेल हुआ या पास, 7 को चलेगा पता 

भाजपा कैंडिडेट को हराने के मिशन में कुछ हद तक तथाकथित भीष्णपितामह गुट को सफलता भी मिली है। विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि तथाकथित भीष्ण पितामह की तरफ से अपने समर्थकों के बीच यह मैसेज दिया गया कि बीजेपी कैंडिडेट की बजाए निर्दलीय कैंडिडेट की मदद करें। इस वजह से एक जाति का वोट सीधे-सीधे निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में गया। बीजेपी के कई नेता तो परोक्ष-अपरोक्ष रूप से बीजेपी कैंडिडेट के खिलाफ काम कर रहे थे। वैसे भाजपा कैंडिडेट ने बैकवर्ड कार्ड खेल कर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश जरूर की है। अब देखना होगा पूर्वी चंपारण का रिजल्ट किसके पक्ष में आता है। अगर तथाकथित भीष्म पितामह के विरोध के बाद भी बीजेपी कैंडिडेट की जीत होती है तो भाजपा के कद्दावर नेता अपने घर में ही कमजोर पड़ जायेंगे।  

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