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बक्सर में के के पाठक के फरमान का दिखा असर, 37 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं का रद्द हुआ नामांकन

बक्सर में के के पाठक के फरमान का दिखा असर,  37 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं का रद्द हुआ नामांकन

BUXAR : सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधार को लेकर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के निर्णय से हड़कंप मचा हुआ है। सरकारी में विद्यालयों में नामांकन करा कर गायब रहने वाले पुरे बिहार के सरकारी विद्यालयों से 20 लाख 87 हज़ार 63 छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द कर दिया गया है। वहीं बक्सर जिले में ऐसे कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 37 हज़ार 532 है। जिनके नाम काटने के बाद उनका भविष्य अधर में लटक गया है। किसी को अगले साल मैट्रिक की परीक्षा देनी थी, तो किसी को इस साल रजिस्ट्रेशन कराना था। वैसे छात्र और उनके परिजन स्कूल परिसर से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं। 

क्या कहते है जिला शिक्षा पदाधिकारी

बक्सर जिले में 37 हज़ार 532 छात्र-छात्राओं का नामांकन रद्द होने की जानकारी देते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए इतना बड़ा कदम उठाया गया है। निरंतर शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर सरकारी विद्यालयों में संसाधनों को बढ़ाया जा रहा है, जिसका व्यापक असर आने वाले समय में दिखेगा। हमारे बच्चे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर, जब स्कूल से निकलेंगे तो देश के उन्नति में और भविष्य के निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

क्या कहते है बक्सर उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक

जिले के सबसे प्रतिष्ठित बक्सर उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक विजय कुमार मिश्रा ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के साहसिक निर्णय के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कल तक जो शिक्षक और छात्र विद्यालय से गायब रहते थे। आज उनके विचार एवं व्यवहार में भी बड़ा परिवर्तन आ गया है। जिस उद्देश्य को लेकर सरकार ने के के पाठक को इस विभाग का कमान सौपा था। उसका 70 प्रतिशत लक्ष्य मात्र 3 महीने में ही पूरा हो गया है। शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत बड़ा क्रांति आ गया है। 

बच्चों के बदलाव में परिवर्तन

उन्होंने कहा की बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जा रहा है। वह अब अपने शिक्षकों का सम्मान करने लगे है और वह नियमित रूप से समय से पहले विद्यालय पहुँच जा रहे है। हमारे विद्यालय से 47 बच्चों का नामांकन रद्द हुआ है। लेकिन इसके बदले सैकड़ो बच्चे जो स्कूल नहीं आते थे। वह स्कूल आने लगे है। यदि छोटी कार्यवाई से बड़ा साकारात्मक परिणाम सामने आता है तो इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में देखना चाहिए। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग के इस आदेश के बाद छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया हैं। जिन बच्चों का नामांकन रद्द हुआ है वें वैसे परिवार से हैं जो रोज कुआँ खोदते है और रोज पानी पीते है। वैसे में परिजनों के सामने  अपने बच्चों का भविष्य अधर में लटके दिखाई दे रहा हैं।

बक्सर से संदीप वर्मा की रिपोर्ट

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