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एक अनोखी दुनिया बनाना चाहता था ये गुरु जहां खुले-आम सेक्स, नशा और आजादी मिल सके

एक अनोखी दुनिया बनाना चाहता था ये गुरु जहां खुले-आम सेक्स, नशा और आजादी मिल सके

डेस्क... आज हम आप को ऐसी गुरु के बारे में बताने जा रहें है जिसकी सोच और विचार इस दुनिया की मालूम नहीं लगती कुछ लोग इस गुरु से बहुत मोहब्बत करते है तो कुछ लोग बहुत नफरत करते है लेकिन इस गुरु को इग्नोर नहीं किया जा सकता जी हां हम आज बात करने जा राहें ओशो के बारे में जिनकी पूरी पूरी जिंदगी विवादों से भरी रही कोई ओशो को महान दार्शनिक मानता है तो कोई उनके विचारों की वजह से उन्हें सेक्स गुरु की संज्ञा देता है. ओशो ने 'संभोग से समाधि' का मंत्र दिया. वो भौतिकतावाद और अध्यात्म को अलग-अलग नहीं करते थे. ओशो का मानना था कि इंसान को अपनी इन्द्रियों का दमन करके और पूरी तरह से सांसारिकता का त्याग करके संन्यास की तरफ नहीं बढ़ना चाहिए बल्कि इससे होते हुए अध्यात्मिकता की तरफ जाना चाहिए. 

ओशो की जिंदगी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी आ चुकी है. साल 2018 में आई नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री 'वाइल्ड वाइल्ड कंट्री' में ओशो के अमेरिका के ऑरेगन स्थित आश्रम के बारे में दिखाया गया है. ओशो आश्रम से जुड़ी बहुत कहानिया हैं पर आज हम आप को कहानी नहीं अनुभव बताने जा रहें है उस बच्चे की जो जब ओशो असराम गया था तो मात्र 10 साल का था आज वो 50 साल का हो गया है लेकिन उस असराम से जुड़ी हर घटना उसके जेहन में साफ़ है 1976 में नोवा के माता-पिता को भारत में रह रहे उनके एक मित्र से चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था कि उसने जीवन का सही मतलब समझ लिया है. इसके बाद नोवा के माता-पिता भी लंदन में सब कुछ छोड़कर भारत में ओशो के पुणे आश्रम में आ गए. आश्रम में नोवा की मां अलग रहती थीं और पिता अलग रहते थे और नोवा बच्चों के लिए बनी झोपड़ी में रहता था.

 उसने बताया, 'हम 70 के दशक के मध्य वर्गीय परिवार थे और बहुत ही कम समय में हमारे परिवार की इकाई को तोड़ दिया गया था.' बांस की बनी झोपड़ी में नोवा के साथ ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और अमेरिका से आए कई बच्चे थे. नोवा ने बताया, 'वहां एक स्कूल था जहां शर्मा नाम के एक लंबे बाल वाले टीचर गिटार लेकर आते थे और हम सभी वहां का एक गाना गाते थे. मुझे नहीं पता था कि स्कूल में होना या ना होना क्या मायने रखता था. जब मैं अपने देश में वापस आया तब मैं 10 साल का था और तब तक मैं कुछ पढ़-लिख नहीं सकता था. मुझेदो और दो को जोड़ना भी नहीं आता था.

नोवा ने बताया कि उसने ऐसा कुछ तो आश्रम में नहीं देखा लेकिन लोग कुछ अजीबो-गरीब व्यवहार करते थे. उनके हंसने का एक तरीका था जिसके जरिए वो कहते थे कि मैं अपनी भावनाओं को स्वीकार करता हूं. रात में हजारों लोग हंसते-हंसते अचानक रोने लगते थे. नोवा ने बताया कि वो उस उम्र में सेक्स के बारे में जानता था. 'यहां हर समययौन संबंध बनाते लोगों की आवाजेंसुनीजा सकतीथीं.' नोवा को पता था कि उसके पैरेंट्स के अलग-अलग पार्टनर थे. नोवा ने बताया कि इसे लेकर वो कभी अपसेट नहीं होते थे क्योंकि उनके पिता कहते थे कि सब कुछशानदार है. मुझे पता था कि मेरी मां इन सब चीजों से जूझ रही थीं. कहने को तो हम तब भी एक परिवार थे लेकिन हम एक साथ नहीं थे.कुछ बातों में आजादी अच्छी थी लेकिन नोवा कहते हैं, जब आपके जीवन में कोई बाउंड्री नहीं रहती है तो दुनिया काफी खतरनाक लगने लगती है. नोवा ने बताया, 'ओशो की विचारधारा मेंकुछ मूलभूत समस्याएं थीं.मेरे लिए, मेरे जीवन का अर्थ परिवार, पारिवारिक रिश्तों के बारे में था और ये मानना गलत था किये बच्चे सिर्फ इस जंगली जगह में बड़े होकर खुश रहेंगे. यही कारण था की ओशो पर 21 देशो ने प्रतिबंद लगा दिया था क्यों की उनके विचार धारा में कुछ खामिया थी ओशो की विचार धारा समाज के विपरीत थी. 



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