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इलेक्ट्रीक गाड़ियां बिना रूके हो सकेंगी चार्ज, देश के इस एक्सप्रेस वे पर बन रहा है ई-रोड

इलेक्ट्रीक गाड़ियां बिना रूके हो सकेंगी चार्ज, देश के इस एक्सप्रेस वे पर बन रहा है ई-रोड

DESK : पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण देश में इलेक्ट्रीक गाड़ियों की डिमांड बढ़ी है। सरकार की भी कोशिश है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों। लेकिन इन गाड़ियों की सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग की है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब इलेक्ट्रिक रोड बनाने पर भी काम कर रही है। ये रोड अपने ऊपर चलने वाले वाहनों को ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं, जिससे वाहनों को रिचार्ज होने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर हो रहा निर्माण

देश में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर एक लेन ई हाईवे के रूप में बनाया जा रहा है। यह ई लेन करीब 1300 किलोमीटर लंबी होगी। इससे लॉजिस्टिक का खर्च 70 फीसद तक कम हो जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि एक लाख करोड़ की लागत से बन रहे इन ई रोड पर उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिस तकनीक से जर्मनी में ई हाईवे बनाए गए हैं। जर्मनी और भारत दोनों जगहों पर सीमेंस ( Siemens) ई रोड बना रही है। सीमेंस ने सबसे पहले जर्मनी की फ्रैंकफर्ट शहर में मई 2019 में इस तकनीक से सड़क बनाई। छह मील लंबी इस सड़क के ऊपर बिजली के विशाल केबल लगे हैं। इन केबल में 670 वोल्ट का करंट होता है। इसके अलावा कोरिया, स्वीडन, न्यूजीलैंड में ब्रिटेन में ई रोड बनी है।

ट्रांसपोर्ट रिसर्च लैबोरेट्री के मुताबिक, इलेक्ट्रिक रोड में मुख्य रूप से तीन तकनीकों का इस्तेमाल होता है। पहला, गाड़ियों के ऊपर पावर लाइन होती है, जैसा भारत में होता है। वहीं जमीन पर पटरी या अंडरग्राउंड क्वाएल से भी बिजली की आपूर्ति की जाती है। ओवरहेड केबल सबसे उन्नत तकनीक है, लेकिन गैर व्यावसायिक वाहनों के लिए ये कारगर नहीं है, क्योंकि कार की ऊंचाई बेहद कम होती है और ये बेहद ऊपर मौजूद केबल से ऊर्जा हासिल नहीं कर पाएंगे जबकि ई ट्रक के लिए ये केबल पहुंच में होंगे। वहीं जमीन से मिलने वाली बिजली जैसे रेल से आसानी से ज्यादा ऊर्जा मिल जाएगी। वहीं चार्जिंग क्वाएल की तकनीक में कम पावर मिलेगी और ज्यादा उपकरण भी लगेंगे।

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