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बिहार में अकाल का डर, मानसून के मनमौजीपन से सता रहा सूखे का खतरा, धान और खरीफ फसलों पर संकट के बादल

बिहार में अकाल का डर, मानसून के मनमौजीपन से सता रहा सूखे का खतरा, धान और खरीफ फसलों पर संकट के बादल

पटना. मानसून की मनमर्जी से बिहार में सूखे का खतरा मंडरा रहा है. राज्य के 30 जिलों में अब तक 20 फीसदी से भी कम बारिश हुई है जिससे राज्य के कई भागों में अकाल का डर अब लोगों को डराने लगा है. दरअसल, राज्य में अररिया, बेगूसराय, बक्सर, किशनगंज, मधेपुरा, मधुबनी, पूर्णिया एवं सुपौल को छोड़ बाकी सभी 30 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत से भी कम वर्षा हुई है. वहीं कई ऐसे जिले हैं जहां इससे भी कम बारिश हुई है. विशेषकर उत्तर बिहार की तुलना में दक्षिण बिहार के जिलों की हालत और ज्यादा खराब है. 

बारिश कम होने के कारण खरीफ फसलों की बुआई बुरी तरह प्रभावित हो रही है. राज्य के प्रमुख धान उत्पादन क्षेत्रों में रोहतास और कैमूर के अधिकांश भागों में अब तक धान रोपनी शुरू नहीं हो पाई है. पूरे राज्य में अबतक 263 की जगह मात्र 191 मिमी बारिश हुई है. आंकड़ों के अनुसार इससे राज्य भर में सामान्य से 27 प्रतिशत बारिश की कमी हो गई है. जानकारों का कहना है कि अगर कुछ दिन यही हाल रहा तो इन जिलों में सूखा संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

9 जुलाई तक जिलावार कम बारिश की स्थिति देखी जाए तो अरवल 64 प्रतिशत, गया 64 प्रतिशत, शिवहर 64 प्रतिशत, शेखपुरा 63 प्रतिशत, औरंगाबाद 63 प्रतिशत, सारण 58 प्रतिशत, लखीसराय 56 प्रतिशत, भागलपुर 52 प्रतिशत, कटिहार 52 प्रतिशत, नवादा 52 प्रतिशत, रोहतास 50 प्रतिशत, नालंदा 48 प्रतिशत, भोजपुर 48 प्रतिशत, गोपालगंज 48 प्रतिशत, सीवान 46 प्रतिशत, बांका 45 प्रतिशत, जहानाबाद 43 प्रतिशत, भभुआ 42 प्रतिशत, समस्तीपुर 40 प्रतिशत और वैशाली 40 प्रतिशत कम बारिश वाले जिले हैं. 

वहीं कृषि विभाग के मुताबिक अरवल, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, बक्सर, गया, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, नालंदा, नवादा, शेखपुरा और सीतामढ़ी में धान की रोपनी की रफ्तार बहुत धीमी है. फिलहाल राज्य में धान की औसत रोपनी करीब 15 से 20 फीसदी हुई है. विभाग के अनुसार अगर अगले एक सप्ताह से 10 दिनों तक यही स्थिति रही तो राज्य में काफी गंभीर हालत हो सकते हैं. बड़े पैमाने पर धान और खरीफ फसलों की बुआई का संकट उत्पन्न हो सकता है. 


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