KATIHAR: बिहार में भले ही मॉनसून की गति धीमी हो, मगर गंगा सहित सभी सहायक नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के पार जा चुका है। सूबे के 26 जिलों की लाखों की आबादी इस वक्त बाढ़ प्रभावित है। राहत और बचाव कार्य के तहत जिलाधिकारी के निर्देशानुसार कार्य जारी है, लेकिन बचाव कार्य के किस तरीके के संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा, देखिए पूरी रिपोर्ट-
मनिहारी अनुमंडल में हालात खतरनाक
जिले के मनिहारी अनुमंडल में गंगा ने भीषण तबाही मचाई है। बढ़ते जलस्तर ने कई पंचायतों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे रहने-खाने पर संकट आ गया है। मनिहारी अनुमंडल में बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए 4 स्पीड रबर बोट तैनात किया गया था। बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए फिलहाल तीन रबर वोट को अलग-अलग स्थान पर भेज दिया गया है। जिससे मनिहारी के लिए मात्र एक बोट रह गई है।
लाइफबोट में छेद, सांसत में जान
जिस तरीके के संसाधन प्रशसान द्वारा मदद के लिए दिए गए हैं, उससे तो यही लग रहा है कि इसे हमारी जान बचाने नहीं, बल्कि लेने के लिए लगाया गया है। जिस लाइफबोट को लोगों को आपात स्थिति में पहनाया जाता है, उसमें छेद है। अब आप खुद समझ सकते हैं यदि आपात स्थिति में किसी व्यक्ति ने छेद वाली जैकेट पहनी तो उसका क्या हश्र होगा।
रबर बोट से रिसता है पानी
इतना ही नहीं, जिस रबर बोट को काम पर लगाया गया है, उसमें से भी पानी रिसता है। ऐसा रबर बोट कभी भी हादसे की वजह बन सकता है। ऐसे में मनिहारी गंगा दियारा क्षेत्र के लोग वोट के ऐसे हालात को लेकर लोग काफी सहमे हुए हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय
स्थानीय लोगों का प्रशासन से विश्वास उठ गया है। उनका कहना है कि मोटरबोट का लाइफ जैकेट की अवस्था काफी बदरंग और छिन्न भिन्न है। यदि आपात स्थिति में ऐसा जैकेट का उपयोग लोगों को और खतरे में डाल सकता है। वहीं अन्य व्यक्ति का कहना है कि इतने बड़े बाढ़ प्रभावित इलाके के लिए महज एक बोट काफी नहीं है। प्रशासन को 4 बढ़िया बोट तत्काल मुहैया कराना चाहिए।