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फिर से चारा घोटाला, 43 करोड़ का नहीं मिल रहा हिसाब-किताब, एजी ने की निगरानी जांच की अनुशंसा

फिर से चारा घोटाला, 43 करोड़ का नहीं मिल रहा हिसाब-किताब, एजी ने की निगरानी जांच की अनुशंसा

NEWS4NATION DESK : झारखंड में फिर से चारा घोटाला का मामला सामने आ रहा है। सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि राज्य के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के पास दुधारू मवेशियों के पोषाहार पर खर्च हुए 43 करोड़ का कोई सबूत नहीं है। राज्य के महालेखाकार की ओर से बार-बार मांगे जाने पर भी इससे संबंधित कागजात विभाग की ओर से उपलब्ध नहीं कराया गया। एजी ने इसकी निगरानी जांच की अनुशंसा की है।

एजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के पास यह आंकड़ा ही नहीं है कि राज्य में रियायती दर पर कितनी गायें बांटी गईं। इस पर कितने की सब्सिडी का वितरण हुआ। ऐसी स्थिति राज्य के18 जिलों की है।

रांची, कोडरमा, पलामू, देवघर, जामताड़ा और सरायकेला-खरसावां जिलों में सब्सिडी की 45 करोड़ सात लाख की राशि बैंकों में पड़ी है। इनके वितरण की जरूरत नहीं पड़ी। इसके बाद भी विभाग ने इस राशि को बैंकों से लेने की कोई कोशिश नहीं की। इस पर बैकों से ब्याज लेने का भी प्रयास नहीं किया।

ऑडिटर जनरल सी नेंदुचेरियन ने कहा है कि विभागीय सचिव ने आश्वासन देने के बाद भी इसे उपलब्ध नहीं कराया। एजी की टीम को पोषाहार की खरीद और वितरण का कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराना सार्वजनिक धन पर बड़े खतरे का संकेत कर रहा है। 

उन्होंने कहा कि अनियमितता की पुष्टि इससे भी होती है कि गव्य़ निदेशालय के एक सहायक निदेशक ने एक ही बिल से स्टॉक रजिस्टर में दो इंट्री कर डोरंडा कोषागार से सात लाख 82 हजार रुपए निकाल लिए। इस राशि को कपटपूर्ण तरीके से अमीनो एसिड और मिनरल-मिक्सचर की आपूर्ति करने वाले फर्म को भुगतान दिखा दिया गया। एजी ने कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव से इन मामलों के जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इससे एजी ऑफिस को अवगत कराने के लिए कहा है। 

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