पटना- बिहार पुलिस में 21 हजार से अधिक पदों के लिए अक्टूबर में ली गई सिपाही भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में पूर्व डीजीपी एवं केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष एसके सिंघल समेत पूरा पर्षद कार्यालय संदेह के घेरे में है. मामले की जांच आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) कर रही है.
इस मामले में केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के तत्कालीन अध्यक्ष और पूर्व डीजीपी एसके सिंघल से एक घंटे पूछताछ की गई है. जांच के लिए ईओयू के स्तर पर गठित एसआईटी की टीम ने पूर्व डीजीपी के पटना के बेली रोड स्थित आवास पर जाकर पूछताछ की. एसपी के नेतृत्व में गई टीम ने करीब एक घंटे तक उनसे पूछताछ किया है.
केंद्रीय चयन पर्षद का अध्यक्ष होने के नाते एसके सिंघल के स्तर पर क्या कोई चूक हुई या इतना गोपनीय मामला होने के बाद भी किस तरह से पेपर लीक हुआ, इसकी जानकारी एकत्र की गई. पेपर की छपाई से लेकर इसके आने और वितरण तक की पूरी प्रक्रिया के बारे में भी जांच टीम ने जानकारी एकत्र की.
बताया जा रहा है कि परीक्षा संचालन को लेकर जिस एजेंसी से करार हुआ था, उसके एग्रीमेंट में भी गड़बड़ियों की बात सामने आई है. सूत्रों की मानें तो प्रश्नपत्र की छपाई कोलकाता के जिस प्रिंटिंग प्रेस में की गई थी. पेपर लीक में उसकी भूमिका भी संदेह के दायरे में है. सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है कि ईओयू की टीम कोलकाता जाकर भी जांच कर सकती है. परीक्षा से पहले पेपर लीक और आंसर-की जारी होने के मामले में राज्य के बाहर के लोगों की भूमिका भी सामने आ रही है. इस बाबत अभ्यर्थियों और अन्य लोगों से पूछताछ में कई क्लू मिले हैं.
बता दें सिपाही भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा पिछले साल 20023 में एक अक्टूबर को ली गई थी, मगर कदाचार और अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद इसे रद्द कर दिया गया था.जांच टीम ने राज्य के अलग-अलग थानों में दर्ज 74 कांडों का अनुसंधान किया . इसके अलावा ईओयू ने अलग से भी प्राथमिकी दर्ज की .इस दौरान कदाचार में संलिप्त 225 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया . मामले के बाद सिपाही चयन पर्षद के अध्यक्ष पद से एस के सिंघल को हटा दिया गया. एसआइटी की जांच में परीक्षा में गड़बड़ी के साथ ही वित्तीय लेन-देन के साक्ष्य भी मिले हैं.
रिपोर्ट- विवेकानंद