भादो की पूर्णिमा आते ही पितरो का आगमन हो जाता है यानि भादो महीने के पूर्णिमा से शुरू हुए कृष्ण पक्ष के पूरे 16 दिन को पितृपक्ष कहा जाता है. पितृपक्ष के दौरान वंशज अपने पितृ को पिंडदान और तर्पण करते हैं. माना जाता है कि इस दौरान किया गया पिंडदान सीधे उनके पूर्वजों तक जाता है, इससे उनपर सदा उनके पितरों का आशीर्वाद बना रहता है और उनकी आत्मा तृप्त होती है. इस दौरान गया जी में पिंड दान का विशेष महत्व है. गयाजी में पिंडदान और तर्पण करने भारी तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. वहीं उच्चके भी बिहार की छवि बदनाम करने से बाज नहीं आ रहे. बिहार हीं नहीं झारखंड, यूपी और छत्तीसगढ़ के पॉकेटमार गयाजी में सैलानियों के पॉकेट पर हाथ साफ कर रहे हैं, जिसकी शिकायत लगातार मिल रही है.
गया में लगे पितृपक्ष मेला क्षेत्र में उत्तरप्रदेस समेत अन्य प्रदेशों से आये झपट्टामार गिरोह और महिला पॉकेटमारों के आतंक से पुलिस परेशान है. उत्तर प्रदेश से आये पिंडदानी का 96000 नकद, मोबाइल फोन और एटीएम कार्ड के अलावा अन्य दस्तावेज से भरा बैग लेकर उचक्के लेकर फरार हो गये. इसके बाद पुलिस ने तत्परता जुटाते हुए मुफस्सिल थाना पुलिस ने चार युवकों और तीन युवतियों को संदिग्ध अवस्था में हिरासत में लिया. रामपुर थाना क्षेत्र के सिकरिया मोड़ के पास एक ऑटो में सवार पिंडदानियों के बैग से रुपये की चोरी करते तीन महिलाओं में से पुलिस टीम ने दो को पकड़ा. एक महिला फरार होने में कामयाब हो गई.विष्णुपद थाने की पुलिस ने उत्तरप्रदेश की आठ महिला पॉकेटमारों को गिरफ्तार किया है.
भीख मांगने के बहाने श्रद्धालुओं के बैग से रुपये सहित अन्य सामान की चोरी करती हैं. वहीं फल्गु नदी के पूर्वी तट स्थित सीताकुंड अपने परिवार के साथ पूर्वजों का पिंडदान करने आये पिंडदानी का उचक्कों ने बैग झपट लिया. बहरहाल छीनतई, पॉकेटमारी के कारण बिहार की छवि बाहर के राज्यों में बदनाम हो रहा है. प्रशासन को इन इपटामारों पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम के साथ सटीक रमनीति बनानी होगी जिससे सूबे की बदनामी से बचा जा सके.