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BIHAR NEWS : गर्मी से राहत के लिए महिला शिक्षक ने बना दिया इको फ्रेंडली कूलर, पांच सौ रूपये आती है लागत

BIHAR NEWS : गर्मी से राहत के लिए महिला शिक्षक ने बना दिया इको फ्रेंडली कूलर, पांच सौ रूपये आती है लागत

GAYA : कूलर को घर में रखना और उसका बिजली खर्च वहन करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है. मध्यवर्गीय परिवार को उमस भरी गर्मी से राहत के लिए गया की एक  महिला टीचर सुष्मिता सान्याल ने घड़े वाला कूलर बना दिया है. सुष्मिता के घड़े वाले कूलर की चर्चा दूर दूर तक हो रही है. ये खास तरह का कूलर लोगों को न सिर्फ गर्मी से बचा रहा है. बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी करता है. यह कूलर खासकर मध्यवर्गीय परिवारों के लिए काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है. सुष्मिता सान्याल के एक आविष्कार ने लोगों को गर्मी से निजात दिला दी है. वो भी इतना सस्ता कि हर कोई इसको घर पर बना सकता है. 

दरअसल चंदौती उच्च विद्यालय की शिक्षिका सुष्मिता सान्याल कई सालों से कचरे का निष्पादन के लिए कार्य कर रही हैं. घर के कचरे से जैविक खाद बनाना और लोगों को इसके लिए जागरूक करना इनकी दिनचर्या है. इसी बीच दीपावली के पूर्व घर की सफाई में निकले कचड़े को उन्होंने इकट्ठा कर कुछ बनाने का सोचा और उन्होंने मात्र 500 रुपये में एक घड़े वाले कूलर बना दिया. इस कूलर को बनाने में बाजार से सिर्फ एक प्लास्टिक फैन की खरीदारी की गई है. बाकी अन्य सामानों को घर से निकले कचड़े से निकालकर इस्तेमाल किया गया है. इन सभी सामानों को बाजार से खरीदने से 400-500 रुपये का खर्च पड़ेगा. यह कूलर बिल्कुल आवाज नहीं करता है. इस कूलर में काफी ऊर्जा की जरूरत नहीं होती है. एक तरह से कह सकते है कि यह कूलर इको फ्रेंडली है. इस कूलर में बाल्टी का उपयोग सांचा के लिए किया गया है, जो कि कही भी आसानी से ले जाया जा सकता है. इस कूलर में एक बाल्टी में घड़ा रखकर उसमें पानी भर दिया जाता है. घड़ा में एक मोटर लगा रहता है जो बाल्टी के अंदर हिस्से में ऊपर से पानी गिराता रहता है. इससे घड़ा का पानी ठंडा रहता है. जैसे ही फैन चलता है, फैन घड़े के पानी की नमी को ऑब्जर्व करता है और बाहर के छिद्र से हवा फेंकता है. इस कूलर के सामने बैठा व्यक्ति अधिक गर्मी में ठंडक महसूस करने लगता है.

शिक्षिका सुष्मिता सान्याल बताती है कि अमूमन बाजार में कूलर तीन हजार से कम का नहीं होता है. दीपावली में घर की सफाई में निकले कचरे से मुझे कुछ अलग बनाना था, तो मैंने एक सस्ता और उपयोगी कूलर बना दिया. इस कूलर में पेंट की बाल्टी, एक पुराना घड़ा, खराब कूलर का मोटर, एक छोटा सा फैन, एक बाइक की बैटरी लगा कर तैयार किया गया. यह ग्रामीण क्षेत्रों में काम करनेवाली महिलाओं के लिए बनाया गया है. महिलाएं कम पैसों में कूलर को आसानी से बनाकर उपयोग कर सकती हैं. शिक्षिका ने बताया कि उनके इस अविष्कार को देख स्कूल के दो बच्चे भी उपयोग कर रहे हैं. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

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