NEW DELHI : शादी के लिए अब लड़का और लड़की की उम्र में तीन साल के अंतर को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया है। अब लड़कों की तरह लड़कियों की शादी भी 18 साल की जगह 21 साल पूरे होने पर ही मान्य होगा। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शादी की उम्र में सुधार को लेकर बने विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने चुनाव सुधारों से जुड़े विधेयक को भी मंजूदी दे दी गई है। इस विधेयक के संसद से पास होने पर वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने के साथ ही नए वोटरों को रजिस्ट्रेशन के ज्यादा मौके मिलेंगे। अब यह दोनों विधेयक संसद में मंजूरी के लिए पेश किए जाएंगे। अगर वहां से इसे मंजूरी मिलती है, तो इस कानून को पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
पीएम मोदी ने की घोषणा
शादी के लिए लड़का-लड़कियों की उम्र एक समान करने की मांग लंबे समय से चल रही थी। खुद प्रधानमंत्री ने 2020 के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान लाल किले से अपने संबोधन में लड़कियों और लड़कों के विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान करने की घोषणा की थी। अब अगर यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी। लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र पर विचार के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्कफोर्स का गठन किया गया था जिसने अपनी रिपोर्ट पिछले साल दिसम्बर में नीति आयोग को सुपुर्द की थी। टास्कफोर्स ने युवतियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर 21 वर्ष करने का पूरा रोल आउट प्लान सौंपा था और इसे समान रूप से पूरे देश में सभी वर्गों पर लागू करने की मजबूत सिफारिश की थी।
इस दौरान 10 सदस्यों की टास्कफोर्स ने देशभर के प्रबुद्ध अध्येताओं, कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया। वेिबनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपुर्द कर दिया गया। अब इस सिफारिश को अम्लीय जामा पहनाने की तैयारी मोदी सरकार ने कर लिया गया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में विवाह के संबंध यह दूसरा बड़ा सुधार माना जा रहा है जो समान रूप से सभी धर्मो के लिए लागू होगा। इससे पहले एनआरआई मैरिज को 30 दिन के भीतर पंजीकृत कराने का बड़ा कदम उठाया गया।
1978 में हुआ था विवाह कानून में संशोधन
टास्कफोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर 4 कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी परिवर्तन 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी।
16 करोड़ लड़कियों की शादी 18-21 साल की उम्र में
यूनीसेफ के अनुसार भरत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। जनगणना महापंजीयक के मुताबिक देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।