PATNA : बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार प्रदेश मुखिया संघ द्वारा अपने अधिकारों की माँग के लिये चलाये जा रहे आन्दोलन का समर्थन करते हुये कहा है कि सरकार को आन्दोलनरत मुखिया की माँगों पर सहानभूतिपूर्वक विचार करना चाहिये। सिन्हा ने कहा कि मुखिया संघ के द्वारा 19 सुत्री माँग राज्य सरकार के समक्ष रखी गई है। इनमें अधिकतर माँग इनके अधिकारों में कटौती को बहाल करने संबंधी है। वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिलने वाली राशि में कटौती, ग्राम सभा को अधिकार से वंचित करना, मुख्यमंत्री सोलर लाईट योजना पंचायत से नहीं करना और पंचायत भवन का निर्माण कार्य अन्य एजेन्सी को देने के साथ-साथ मुखिया को प्रदत्त अनेक अधिकारों में कटौती की गयी है।
सिन्हा ने बिहार सरकार द्वारा मुखिया के खिलाफ तानाशाही फैसला का निंदा करते हुए कहा कि मुखिया एक जनप्रतिनिधि होता है और इस राज्य में जिस तरह से भ्रष्ट पदाधिकारियों को बचाकर मुखिया को प्रताड़ित किया जा रहा है वह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
सिन्हा ने कहा कि 16 से 31 अगस्त तक राज्य के सभी मुखिया हड़ताल पर थे। इस अवधि में इन्होंने सरकारी कार्य का बहिष्कार किया। फिर प्रखंड और जिला स्तर पर इनके छात्र धरना प्रदर्शन किया गया। मुखिया भी जनता के द्वारा सीधे चुने जाते है। लोकतंत्र की पहली इकाई इन्हीं से शुरु होती है।
सिन्हा ने कहा कि नीतीश- तेजस्वी सरकार के साल भर की अवधि में मुखिया, छात्र, शिक्षक, किसान, अभियंता आदि संघो ने असंतुष्ट होकर शांति प्रदर्शन, धरना और जुलुस का आयोजन किया है। सरकार ने किसी के माँग पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सिन्हा ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि आन्दोलनरत मुखिया के प्रतिनिधियों को बुलाकर ससम्मान बात करें और उस पर सहानभूतिपूर्वक विचार करें।