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ऐसे ही नहीं बने जननायक : मुख्यमंत्री रहते हुए भाड़े की टैक्सी से बेटी के लिए लड़का देखने रांची गए थे भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर, सबसे गरीब नेता की थी पहचान

ऐसे ही नहीं बने जननायक : मुख्यमंत्री रहते हुए भाड़े की टैक्सी से बेटी के लिए लड़का देखने रांची गए थे भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर, सबसे गरीब नेता की थी पहचान

PATNA : बुधवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर की जन्म शताब्दी मनाई जा रही है। ऐसे में उन्हें आज देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर बिहार में खुशियों का माहौल है। 

यहां जानिए आखिर कर्पूरी ठाकुर की किन खासियतों के कारण उन्हें जननायक की उपाधि दी गई। कर्पूरी ठाकुर ऐसे नेता थे,  जो अपनी भत्ता के अलावा वह एक पैसे भी किसी से अतिरिक्त नहीं लेते थे. उनके जीवन से जुड़ी कई कहानियां हैं, जो प्रेरित करनेवाली है। ऐसी ही एक कहानी उनकी बेटी की शादी से जुड़ी है। 

बात उस समय की है जब कर्पूरी ठाकुर 1970 और 71 के बीच मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उस समय अपनी बेटी के लिए लड़का देखने के लिए उन्हें रांची जाना था. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री की सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल नहीं किया और भाड़े पर टैक्सी लेकर वे रांची गए थे. शादी तय हो गई. मुख्यमंत्री काल में ही उनकी बेटी की शादी हुई थी. उनकी इच्छा थी कि बेटी की शादी सादगी के तहत देवघर मंदिर में करें, लेकिन पत्नी की इच्छा के कारण गांव पितौंझिया में शादी हुई. 

शादी में किसी नेता को नहीं बुलाया

कर्पूरी ठाकुर ने अपनी पत्नी की इच्छा को पूरा किया लेकिन उस शादी में उन्होंने किसी नेता या अपने किसी साथी को आमंत्रित नहीं किया था. इतना तक की मुख्यमंत्री के साथ रहने वाले सुरक्षाकर्मी, जिला प्रशासन किसी को भी आने की अनुमति नहीं दी गई थी.

कभी नहीं खरीद सके थे गाड़ी

कर्पूरी ठाकुर ने मुख्यमंत्री के तहत आदेश दिया था कि उस दिन बिहार सरकार की आने वाली दरभंगा और सहरसा हवाई अड्डा पर कोई हवाई जहाज नहीं उतरेगा, ताकि उससे कोई नेता नहीं पहुंच जाए. इतनी सादगी से बेटी की शादी की थी. कर्पूरी ठाकुर इतने दिनों तक विधायक और मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक गाड़ी तक नहीं खरीद पाए थे.

अपने बहनोई को दिए थे 50 रुपये

कर्पूरी ठाकुर बहुत ज्यादा ईमानदार व्यक्ति थे. एक और कहानी है. एक बार उनके बहनोई उनके पास आए और कहा कि आप सिफारिश करके नौकरी लगवा दीजिए. उन्होंने काफी सोचा और 50 रुपया अपनी जेब से निकालकर दिया. कहा कि जाइए अपना पुश्तैनी धंधा बाल दाढ़ी बनाने का सामान खरीदिए और काम करिए.

1924 में समस्तीपुर में हुआ जन्म

बिहार की सभी पार्टियां कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों पर चलने की बात करती हैं, लेकिन इतना आसान नहीं है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के एक गांव पितौंझिया में हुआ था. 1952 में बिहार विधानसभा में विधायक के रूप में चुनकर आए और 1988 तक वह 36 साल बिहार के विधानसभा सदस्य के रूप में विधायक रहे. दो बार बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे, लेकिन सबसे गरीब नेता के रूप में कर्पूरी ठाकुर की पहचान थी.

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