DESK : पश्चिम बंगाल में एनआईए के खिलाफ केस दर्ज किए जाने को लेकर कोलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता बनर्जी की पुलिस के काम पर हैरानी जाहिर की है। न्यायाधीश जय सेनगुप्ता ने मामले पर सुनवाई के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सरकारी अधिवक्ता अमितेश बंद्योपाध्याय से पूछा कि जिस तृणमूल नेता (मनोब्रत जाना) के खिलाफ निम्न अदालत की ओर से गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था, उसकी पत्नी की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर एनआईए अधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी कैसे दर्ज कर ली गई
कोर्ट ने पूछा कि प्राथमिकी दर्ज करने से पहले आरोप की जांच की जरूरत क्यों नहीं समझी गई? सीसीटीवी के वीडियो फुटेज क्यों नहीं देखे गए? धारा 325 कैसे लगा दी गई? यह धारा तो हमला करके गंभीर रूप से जख्मी करने के मामले में लगाई जाती है।
सरकारी अधिवक्ता नहीं दे सके कोई जवाब
मनोब्रत जाना के शरीर पर किसी तरह की गंभीर चोट का कोई निशान नहीं है। सरकारी अधिवक्ता न्यायाधीश के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए।
NIA के अधिकारियों की गिरफ्तारी पर रोक
इसके बाद न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि एनआईए अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी समेत कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। उनसे पूछताछ करने के लिए पुलिस को कम से कम 48 घंटे पहले नोटिस देना होगा और वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पूछताछ की जा सकेगी।