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धोखा नहीं तो क्या है ? अति पिछड़ा समाज को 'आबादी' बताकर ही खुश रखेंगे CM या 'मंत्री' का कोटा भी बढ़ायेंगे ? 36 फीसदी वाले को भी 2 मंत्री और 3 % वाले को भी 2, क्या 'नीतीश' घर से करेंगे शुरूआत ?

धोखा नहीं तो क्या है ? अति पिछड़ा समाज को 'आबादी' बताकर ही खुश रखेंगे CM या 'मंत्री' का कोटा भी बढ़ायेंगे ? 36 फीसदी वाले को भी 2 मंत्री और 3 % वाले को भी 2, क्या 'नीतीश' घर से करेंगे शुरूआत ?

PATNA:  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जातीय गणना कराया. सरकार ने इसकी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी है. जातीय गणना की रिपोर्ट में अति पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या सबसे अधिक 36 % है. जातीय गणना कराने को लेकर जेडीयू अति पिछड़ा समाज की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार जताया जा रहा. जेडीयू प्रदेश कार्यालय में 13 अक्टूबर शुक्रवार को बड़ा कार्यक्रम आयोजित कर धन्यवाद और आभार जताया गया. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब अतिपिछड़ों की जनसंख्या सबसे अधिक है तो फिर सरकार में उन्हें बड़ी हिस्सेदारी क्यों नहीं ? महत्वपूर्ण व बड़े-बड़े विभाग अपर कास्ट या फिर पिछड़े वर्ग के मंत्रियों के पास कैसे है ? मुख्यमंत्री नीतीश ने जब जातीय गणना करा ही दिया तो फिर अतिपिछड़ों को हिस्सेदारी देने की शुरूआत घर से ही करनी चाहिए. अतिपिछड़ों को अधिकार देने की कोशिश सरकार और संगठन के ऊपरी स्तर से शुरू होनी चाहिए. 

कुर्मी-राजपूत जाति भी मार रहा अतिपिछड़ों का हक 

नीतीश कैबिनेट में वर्तमान में मुख्यमंत्री समेत 31 मंत्री हैं. इनमें जेडीयू कोटे से 12 मंत्री हैं. मुख्यमंत्री और इन 12 मंत्रियों में अगर जातीय आधार पर अलग करें तो नीतीश कुमार और श्रवण कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. कुर्मी की आबादी महज 2.87 फीसदी है. आबादी के हिसाब से देखें तो हिस्से में 1 मंत्री का पद भी नहीं मिल रहा. लेकिन यहां तो मुख्यमंत्री के अलावे एक मंत्री भी कुर्मी जाति से है. इन दोनों के पास विभाग भी कम नहीं है. सीएम नीतीश के पास सामान्य प्रशासन, गृह, कैबिनेट,निगरानी निर्वाचन विभाग हैं. वहीं श्रवण कुमार भी महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अब आइए दूसरे नंबर के मंत्री विजय चौधरी पर, ये भूमिहार जाति से आते हैं. ताजा जातीय आंकड़ा में सरकार ने इस जाति का प्रतिशत 2. 86 फीसदी. हिस्सेदारी की बात करें तो एक भी मंत्री का पद मिलते नहीं दिख रहा. मंत्री विजय कुमार चौधरी के पास तीन विभाग हैं. वित्त, वाणिज्य कर और संसदीय कार्य विभाग.यह भी तो अतिपिछड़ों की हिस्सेदारी मार ही रहे हैं.

यादवों की संख्या सबसे अधिक, दलित समाज से हैं तीन मंत्री   

विजेंद्र प्रसाद यादव की जाति की आबादी पिछड़ों में सबसे ज्यादा है. आबादी का प्रतिशत 14.26 है. जेडीयू कोटे से सिर्फ एक ही मंत्री यादव समाज से हैं. बिजेन्द्र यादव के पास ऊर्जा और योजना एवं विकास विभाग है.बिहार में अनुसूचित जाति की आबादी 19.65 फीसदी है. नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में दलित समाज से आने वाले तीन लोगों को जगह दिया है. इनमें अशोक चौधरी हैं. इनके पास भवन निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है. इसके अलावे सुनील कुमार हैं जो मद्द निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग संभाल रहे हैं. साथ ही रत्नेश सदा हैं जो अनुसूचित जाति,जनजाति विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे. 

राजपूतों की आबादी 3.4 और मंत्री दो

 खाद्ध उपभोक्ता मंत्री लेसी सिंह और विज्ञान प्रावैधिकी मंत्री सुमित सिंह राजपूत बिरादरी से आते हैं. राजपूतों की संख्या महज 3. 45 फीसदी है.  ऊंची जाति में शामिल राजपूतों को भी नीतीश कुमार ने जनसंख्या के अनुपात में काफी अधिक हिस्सेदारी दी है. ब्राह्मणों की आबादी 3.65 फीसदी है. इस हिसाब से संजय झा जो जल संसाधन और सूचना जनसंपर्क विभाग के मंत्री हैं उन्हें शामिल किया गया है. पिछड़ा वर्ग में कुशवाहा समाज आता है. इसकी आबादी लगभग 4 फीसदी है. इस वर्ग से जयंत राज मंत्री हैं. इन्हें लघु जलसंसाधन विभाग की जिम्मेदारी दी गई है.बिहार में मुस्लिमों की आबादी 17.70 फीसदी है. नीतीश कुमार की पार्टी से जमा खान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं.  

अतिपिछड़ों की आबादी 36 फीसदी और मंत्री तीन फीसदी वाली जाति के बराबर 

अब बात कर लेते हैं अतिपिछड़ों की. जिसको लेकर बिहार में राजनीति की जा रही है. जनगणना रिपोर्ट में अतिपिछड़ों की आबादी सबसे अधिक 36. 01 फीसदी है. इस हिसाब से कम से कम चार मंत्री नीतीश कैबिनेट में होने चाहिए थे.  लेकिन मुख्यमंत्री ने अति पिछड़ा समाज से महज दो विधायकों को मंत्री बनाया है. समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी और परिवहन मंत्री शीला कुमारी. दोनों को सिर्फ एक-एक विभाग की जिम्मेदारी दी गई है. जबकि ऊंची जाति से आने वाले मंत्रियों को एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी दी गई है. 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सीएम नीतीश जातीय गणना कराकर अपनी पीठ तो थपथपाना चाहते हैं या वाकई में अतिपिछड़ों को अधिकार देंगे? ऐसा तो नहीं कि सिर्फ चुनाव में लाभ लेने के लिए सरकार ने यह काम किया हो ? 

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