अवैध होने के बाद भी बड़हिया के इन अधिकारी की सरकारी गाड़ी पर हिंदी में है नंबर प्लेट, झारखंड में रजिस्टर्ड गाड़ी का बिहार में कर रहे हैं प्रयोग

LAKHISARAI : हिंदी को सशक्त, समृद्ध और सर्वसुलभ भाषा बनाने के लिए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। लेकिन, कितनी हास्यास्पद बात है कि हमारे देश भारत में हिंदी में गाड़ी नंबर लिखना गुनाह है। और न सिर्फ हिंदी बल्कि किसी भी भारतीय भाषा में गाड़ी नम्बर नहीं लिखा जा सकता है। सिर्फ अंग्रेजी में ही हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट बनाने का प्रावधान है। अब सोचिये कि ऐसे में हिंदी कैसे मजबूत होगी? कैसे हिंदी का विस्तार होगा?
बात सिर्फ हिंदी में नंबर प्लेट न बनने तक नहीं है बल्कि अब तो स्कूल की दीवारों पर भी लिखा होता है ‘हिंदी बोलने पर जुर्माना लगेगा’ । सुप्रीम कोर्ट ने तो बरसों बरस पहले ही कह दिया है कि कचहरी की भाषा अंग्रेजी है न कि हिंदी या अन्य भारतीय भाषाएं। रही बात शोध, अनुसंधान, विज्ञान, तकनीक, चिकित्सा विज्ञान जैसे क्षेत्रों की तो यहां तो दूर दूर तक हिंदी का कोई रोवनहार नहीं है। वैसे यह जरूर कहा जाएगा कि बॉलीवुड की फिल्मों ने हिंदी के प्रचार में अहम भूमिका निभाई। दक्षिण भारत हो या अन्य ग़ैरहिंदी भाषी प्रदेश सब जगह बॉलीवुड की फिल्मों और गानों से हिंदी का घुसपैठ जरूर हुआ। बावजूद इसके हिंदी सिनेमा की जुबान नहीं बन पाई है और आज भी ज्यादा तर अभिनेता अभिनेत्रियों की जुबान से मीडिया के समक्ष अंग्रेजी ही निकलती है।
खास बात यह भी है कि हमारे देश में हिंदी बोलकर राजनेता प्रधानमंत्री बन जाते हैं। कोई दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाता है लेकिन हिंदी रोजगार, शिक्षा, शोध और न्यायालय की भाषा बने इस पर कोई पहल नहीं होती है। वैसे सच कहिए तो हिंदी की कब्र तो आजादी की उसी रात खुद गई थी जब 14-15 अगस्त 1947 की रात को पंडित जवाहर नेहरू ने भारत के भविष्य पर ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ नाम से अंग्रेजी में भाषण दिया था। उसी दिन तय हो गया था कि देश के राजनीतिक दल और नेता हिंदी के जितनी चिकनी चुपड़ी बातें कर लें उनके मन में अंग्रेजी का विशिष्टता बोध है।
नियम के विरुद्ध है गाड़ी का नंबर प्लेट
ऐसे में लंबी सी बात का छोटा सा सार यह जरूर है कि बिहार में लखीसराय जिले के नगर पंचायत बड़हिया के कार्यपालक पदाधिकारी बोर्ड लगी गाड़ी नियमों का उल्लंघन कर रही है। इस गाड़ी में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट नहीं है। और तो और नम्बर भी हिंदी में लिखा गया है, जबकि यह पूरी तरह गलत और नियमों के विरुद्ध है।
चूंकी बिहार में परिवहन विभाग का नियम भी लागू है कि झारखंड रजिस्टर्ड गाड़ियों को कोई अब स्थायी तौर पर बिहार में नहीं रख सकता है। ऐसे में बड़हिया कार्यपालक पदाधिकारी नाम से बोर्ड लगी गाड़ी का नम्बर भी झारखंड का है तो सम्भव है यहां भी नियमों का उल्लंघन किया जा रहा हो।