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लापरवाही या आपसी खींचतान ! प्रसिद्ध उल्लार सूर्य मन्दिर में खुले आसमान के नीचे रखी गयी दान पेटी, बारिश और धूप से सड़ गए लाखों रूपये के नोट

लापरवाही या आपसी खींचतान ! प्रसिद्ध उल्लार सूर्य मन्दिर में खुले आसमान के नीचे रखी गयी दान पेटी, बारिश और धूप से सड़ गए लाखों रूपये के नोट

PATNA : जिले के पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के दुलहिन बाजार थाने के उल्लार धाम में द्वापरकालीन भगवान् श्रीकृष्ण के जामवंतीपुत्र राजा शांब द्वारा स्थापित पौराणिक और ऐतिहासिक उल्लार्क सूर्य मन्दिर है। जहाँ कार्तिक और चैती छठ के मौके पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहाँ भक्तों द्वारा दान पेटी में गुप्त रूप से दी और चढ़ाई गई लाखों रुपए के नोट मन्दिर न्यास समिति की लापरवाही या आपसी विवाद के कारण सड़ने की मामला उजागर हुआ है।

जानकारी के अनुसार पिछले दिनों जब मंदिर न्यास समिति के सदस्यों द्वारा लगभग ढाई महीना से बंद पड़े दान पेटी को खोला गया तो पेटी खोलते ही लोग उसको देखकर दंग रह गए। क्योंकि दान पेटी में दान की गई लाखों रुपए की नोट सड़े- गले हुए मिले। बताया जाता है कि दान पेटी को एक पेड़ के नीचे खुले आसमान के नीचे रखा गया था। जोकि वर्षा की पानी से सड़ गल गए। चैती छठ पूजा के बाद से पिछले लगभग तीन महीना से दान पेटी नहीं खुली थी। जब दान पेटी को खोला गया तब उसमें दान कि गई हुई अनुमानित लाखों रुपए के नोट धूप और पानी से सड़ और गल कर पूरी तरह से नष्ट हो चुके थे। जो अब किसी काम की नहीं बची थी। इस राशि से मन्दिर के विकास कार्य हो सकते थे। वो अब नहीं हो पाएंगे ? वहीं दूसरी ओर अंदरखाने से मिल रही रही सूत्रों द्वारा खबर की माने तो मंदिर विकास समिति और मंदिर न्यास समिति में आपसी खींचातानी पिछले कुछ वर्षों से चली आ रही है। जिसके कारण मंदिर की दान पेटी को आपसी विवाद के चलते नहीं खोला गया। 

बता दें की उल्लार धाम स्थित द्वापरकालीन पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखनेवाला सूर्य मन्दिर बारह सूर्यपीठों में से एक है। उल्लार्क सूर्य मन्दिर की अपनी एक अलग ही पहचान है। यह सूर्य मन्दिर हर साल छठ पुजा के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालु भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास के  प्रतीक के रूप मुख्य केंद्र स्थल है। लोग पूजा अर्चना करने के बाद अपनी श्रद्धा और भक्ति से लाखों की गुप्त दान पेटी में चढ़ावा चढ़ाते हैं। जिसे मन्दिर की विकास कार्य में लगाया जाता है।

इस सूर्यमठ की देख रेख के लिए एक कार्यकारणी समिति मन्दिर विकास न्यास समिति के रूप में गठित है। जिसके अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष के साथ साथ कई मनोनीत सदस्य इस कमिटी में है। साथ ही इसके संरक्षक महंथ बाबा अवध बिहारी दास है। जिनकी कोई खास इसमें नहीं चलती है। सब निर्णय अध्यक्ष ,सचिव और कोषाध्यक्ष समेत मन्दिर न्यास समिति के सदस्य द्वारा ली जाती है। सबसे ख़ास और महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके अध्यक्ष पदेन SDM होते है। जोकि अभी कुछ ही दिन पूर्व आए हैं। उन्हें इसकी शायद पूरी जानकारी न हो। आखिर किसके लापरवाही से यह घटना घटित हुई। यह जांच का विषय हो सकता है ? वहीं कोई इसकी जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं दिखता। न हीं कोई कुछ बोलने को तैयार हैं ?

पालीगंज से अमलेश कुमार की रिपोर्ट

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