औरंगाबाद के इस मंदिर में विज्ञान पर भारी है आस्था, प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए कुंड में नहाते हैं लोग, हर साल हज़ारों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु

औरंगाबाद के इस मंदिर में विज्ञान पर भारी है आस्था, प्रेत बाध

AURANGABAD : एक ओर आज दुनिया एक से बढ़कर एक कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जिसे हम ईश्वर मानकर पूजा अर्चना की जाती है। आज उसी चाँद पर लोग गाँव बसाने की बात कर रहे है। विज्ञान के इस जमाने में भी बिहार के औरंगाबाद में एक ऐसा भी जगह है जहाँ भूतो का मेला लगता है। यहीं नहीं यहाँ भूतों को दण्डित भी किया जाता है। जी हाँ हम बात कर रहे है औरंगाबाद जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर कुटुम्बा प्रखंड में स्थित महुआधाम की। जहाँ आज भी अंधविश्वास हावी है। 

आपको बता दें की की महुआधाम में माता अष्टभुजी की प्रतिमा स्थापित है। तकरीबन आज के 50 वर्ष पूर्व ग्रामीणों के द्वारा एक भव्य मंदिर का भी निर्माण कराया गया था। आज लोगो का मानना है कि यहाँ आने से लाइलाज बीमारी तथा प्रेत बाधा से छुटकारा मिल जाती है। इसकी पड़ताल को लेकर पत्रकारों की टीम वहाँ पहुँची और वहाँ की सारी गतिविधि को बारीकी से अपने कैमरे में कैद किया। वहाँ उपस्थित लोगों से इस बिंदु पर जब बातचीत किया तो बहुत बड़ी खुलासा निकल कर सामने आया, जो आपको चौका कर रख देगा। पड़ताल के दौरान वहां अंधविश्वास हावी दिखा। लोगों ने बताया कि इस स्थान पर आने से बड़े से बड़ा बीमारी ठीक हो जाता है। उन्होंने यह भी बताया की जिस व्यक्ति पर निगेटिव एनर्जी( प्रेत आत्मा ) का प्रभाव रहता है। उस व्यक्ति को जब माता रानी के प्रांगण में लाया जाता है तो उसके शरीर मे कुछ अजब सी हरकते होने लगती है और वह गिरने पटकने तथा झूमने लगता है। वह तब तक इसी तरह का हरकत करते रहता है। जबतक उसके शरीर से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नही हो जाता है। लोगो ने यह भी बताया कि यहाँ साल के दोनों नवरात्र में चाहे वह शरद नवरात्रा हो या बसन्त नवरात्रा इस समय माता रानी का विशेष दरबार लगता है। उस समय लाखो की संख्या में श्रद्धालु की जमावड़ा भी लगता है और इस विशेष दरबार में माता रानी के द्वारा प्रेतों को सजा भी दी जाती है।  

माता रानी की सजा देने का भी अजीब तरीका है। आपको बता दें की माता रानी के मंदिर के पास एक मिट्टी का कुण्ड बना हुआ है। जिसमें नाली की पानी आकर जमा होता है। उसे नरक कुण्ड के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है की जिस व्यक्ति के ऊपर प्रेत आत्मा का प्रभाव रहता है। उसे माता राणी के द्वारा सजा सुनाई जाती है। जिससे व्यक्ति स्वतः वह नरक कुण्ड में जा कर गिर जाता है और तबतक वह नरक कुंड में तड़पते रहता है जब तक उस व्यक्ति के ऊपर से प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त नही हो जाये। प्रेत आत्मा का प्रभाव समाप्त होते ही वह व्यक्ति स्वयं वहाँ से निकल कर बाहर चला जाता है  ऐसा लोगों का मानना है। 

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जब टीम के द्वारा वहाँ की व्यवस्था पर बात किया गया तो लोगो ने बताया कि आज तक यहाँ पर जिला प्रशासन के द्वारा किसी भी तरह का कोई व्यवस्था नही किया जाता है। जबकि यहाँ लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है। लेकिन श्रद्धालुओं को  रुकने का यहाँ कोई भी व्यवस्था नही है। ग्रामीणों के द्वारा नहर के चाट में सैकड़ो झोपड़ी नुमा विश्राम गृह बनाया गया है जिसमे श्रद्धालु शरण लेते है और रात गुजारने पर विवश रहते है। अगर स्वास्थ्य विभाग की बात की जाये तो वहाँ  मेडिकल टीम की कोई भी व्यवस्था नही है, और नही स्वच्छता मिशन को ध्यान में रखते हुए कोई सामूहिक शौचालय का भी व्यवस्था किया गया है। जिसके कारण वहाँ गंदगी का अम्बार देखने को मिलता है। अगर सुरक्षा व्यवस्था की बात किया जाये तो सुरक्षा के नाम पर एक चौकीदार की भी वहां पर ड्यूटी नही लगाई जाती है। जिसके कारण बाहर से आने वाले श्रद्धालु काफी भयभीत रहते है। 

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट