बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

नए कानून के अनुपालन, राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर दी गई जानकारी, जिले के सभी थानाध्यक्षों के साथ न्याययिक दंडाधिकारी ने की बैठक, किया जागरूक

नए कानून के अनुपालन, राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर दी गई जानकारी, जिले के सभी थानाध्यक्षों के साथ न्याययिक दंडाधिकारी ने की बैठक, किया जागरूक

भागलपुर- नए कानून के अनुपालन को लेकर सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश कुमार रॉय एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव कुमारी ज्योतिस्ना के साथ थानाध्यक्षों की एक अहम बैठक हुई. बैठक में 14 सितम्बर 2024 को राष्ट्रीय लोक अदालत को लगाने को लेकर विमर्श किया गया. 

बैठक में सुचारू रूप से न्यायिक कार्यो के सुचारु रुप से  संपादन को लेकर  रिमांड,इन्ज्योरी रिपोर्ट और उनके दाखिल होने में देरी, तलाशी, जब्ती सूची तैयार करने , वीडियोग्राफी, फोटो ग्राफी सहित कई न्यायिक मुद्दों को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया.  भागलपुर सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश कुमार रॉय एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कुमारी ज्योतिस्ना ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि तीन आपराधिक क़ानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता एक जुलाई लागू हो गए . 

भागलपुर सिविल कोर्ट के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश कुमार रॉय के बताया कि नए कानून लागू होने के बाद एफ़आईआर, जांच और सुनवाई के लिए अनिवार्य समय-सीमा तय की गई है. अब सुनवाई के 45 दिनों के भीतर फ़ैसला देना होगा, शिकायत के तीन दिन के भीतर एफ़आईआर दर्ज करनी होगी. 

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी प्रकाश कुमार रॉय के बताया कि एफ़आईआर अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दर्ज की जाएगी. ये प्रोग्राम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के तहत काम करता है. सीसीटीएनएस में एक-एक बेहतर अपग्रेड किया गया है, जिससे लोग बिना पुलिस स्टेशन गए ऑनलाइन ही ई-एफआईआर दर्ज करा सकेंगे. ज़ीरो एफ़आईआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज हो सकेगी चाहे अपराध उस थाने के अधिकार क्षेत्र में आता हो या नहीं. 

राय ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले केवल 15 दिन की पुलिस रिमांड दी जा सकती थी. लेकिन अब 60 या 90 दिन तक दी जा सकती है. आतंकवादी कृत्य, जो पहले ग़ैर क़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे विशेष क़ानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है.

वहीं प्राधिकार की सचिव कुमारी ज्योतिस्ना ने कहा कि नये कानून का अनुपालन एवं जानकारी के लिए जहां जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है वहीं अगामी 14 सितम्बर को राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर प्रचार प्रसार तथा पक्षकारों को निर्गत नोटिस का तामिला कराने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि छोटे छोटे मामले सहजता के साथ निष्पादन किया जा सके.

रिपोर्ट- बालमुकुंद शर्मा

Editor's Picks