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गया जिला प्रशासन की पहल, बहरेपन के शिकार चार बच्चे को इलाज के लिए भेजा जायेगा कानपुर

गया जिला प्रशासन की पहल, बहरेपन के शिकार चार बच्चे को इलाज के लिए भेजा जायेगा कानपुर

GAYA : शिशु छह माह की उम्र से ही प्रतिक्रिया देना प्रारंभ कर देते हैं. यदि बच्चे प्रतिक्रिया नहीं देते हैं तो संभवत: उनमें जन्मजात बहरेपन की समस्या होती है. वहीं बच्चों में भाषा की समझ होने के लिए उनका अच्छी तरह सुनना जरूरी है. कई बार बहुत देर से माता पिता को बच्चों में कम सुनने या बहरेपन का पता चल पाता है. बच्चे में बहरेपन का पता लगाना जरूरी है. यदि जन्म के समय बहरेपन का पता चल जाये तो उसका इलाज संभव है. बच्चों में बहरापन दूर करने के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट संचालित किया जा रहा है. बच्चों के बहरेपन का पता लगाने व उसका इलाज कराने के लिए श्रवण श्रुति प्रोजेक्ट मील का पत्थर साबित हो रहा है. बच्चों के बहरेपन की गंभीरता देख आवश्यक इलाज किया जाता है. इसके लिए बच्चों को आकोस्टिक मशीन भी दी जाती है. 

डीएम द्वारा हो रहा श्रवण श्रुति कार्यक्रम का अनुश्रवण

जिला पदाधिकारी डॉ त्यागराजन एसएम द्वारा बच्चों में बहरेपन की समस्या को दूर करने के लिए श्रवण श्रृति प्रोजेक्ट का संचालन किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत जिला के आंगनबाड़ी केंद्रों पर छोटे बच्चों के कानों की जांच कर उनमें बहरेपन की गंभीरता की पहचान की जा रही है. इसके बाद उन्हें उच्चतर संस्थानों में आवश्यक इलाज व सर्जरी के लिए भेजा जाता है. 

कान के इलाज के लिए चार बच्चे हुए कानपुर रेफर

श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत चिन्हित बीमार बच्चों का नि:शुल्क उपचार किया जाता है. जिला के चार चिन्हित बच्चों के आवश्यक परीक्षण के बाद उन्हें कानपुर स्थित ईएनटी फांउडेशन द्वारा संचालित स्व एसएन मेहरोत्रा मेमोरियल अस्पताल भेजा जायेगा. इसके लिए जिलाधिकारी ने अस्पताल के सचिव को पत्र लिखकर चिन्हित बच्चों की जानकारी दी है. इलाज के लिए भेजे जाने वाले बच्चों में बोधगया तथा टेकारी के दो—दो बच्चे शामिल हैं. इनमें बोधगया के भलुआ से चार वर्षीय साक्षी कुमारी तथा ईटरा की तीन वर्षीय वंदना कुमारी हैं. वहीं टेकारी प्रखंड के अखनपुर के तीन वर्षीय शुभम कुमार और चार वर्षीय सोनी कुमारी हैं. 

बोधगया से श्रवण श्रुति कार्यक्रम की हुई थी शुरुआत 

श्रवण श्रुति कार्यक्रम की शुरूआत सर्वप्रथम बोधगया प्रखंड से हुई थी. जिलाधिकारी की देखरेख में बोधगया प्रखंड के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों का प्राथमिक अवस्था में हियरिंग लॉस की स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया गया था. इसमें हियरिंग लॉस बच्चे की पहचान कर उसे समुचित इलाज के लिए उच्च स्वास्थ्य संस्थान भी भेजा गया. विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कर्मचारियों ओर आॅडियोलॉजिस्ट को आवश्यक निर्देश दिया गया था. 

इमामगंज के सरयंश कुमार का हुआ कॉकहियर इंप्लाट

छोटे बच्चों में बहरेपन के कई कारण होते हें. कई बार कुछ गंभीर बीमारियों के कारण भी बहरेपन की समस्या आ जाती है. ऐसे में बच्चे एक या दोनों कानों से सुनने में अक्षम होते है. कई बच्चों में बहरेपन की समस्या हल्का, मध्यम तथा गंभीर हो सकता है. इसके देखते हुए श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत बहरेपन की समस्या से ग्रसित बच्चों के कानों की जांच कर आवश्यक सर्जरी भी किया जाता है. इमामगंज निवासी 16 माह के सरयंश कुमार का आरटी कॉकहियर इंप्लांट किया गया. कॉक्लियर इंप्लांट एक छोटा इलेक्ट्रोनिक मशीन जो गंभीर रूप से कम सुनाई देने वाले पीड़ित की मदद करता है. यह सर्जरी के माध्यम से लगाया जाता है. कानों के लिए इस्तेमाल होने वाली पारंपरिक मशीन के काम नहीं करने पर इसका उपयोग किया जाता है.  कॉकलियर इंप्लांट में एक बाहरी भाग होता है जो कान के पीछे रहता है और दूसरा हिस्सा सर्जरी द्वारा भीतरी या आंतरिक कान में बिठाया जाता है. 

श्रवण श्रुति कार्यक्रम के तहत स्क्रीनिंग की स्थिति

जिला के 389 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 11 हजार 511 बच्चों के कानों की जांच की गयी. इसमें बहरेपन के शिकार चालीस बच्चों का बेरा टेस्ट के लिए रेफर किये गये. जिसमें से 37 बच्चों का बेरा टेस्ट किया गया. इनमें 12 बच्चों में बेरा टेस्ट पॉजिटिव आया है. बोधगया के 256 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 6531 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई इसमें 29 बच्चों का बेरा टेस्ट किया गया. इसमें 6 बच्चे बेरा टेस्ट पॉजिटिव पाये गये. शेरघाटी के 14 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 980 बच्चों की स्क्रीनिंग हुई. टेकारी प्रखंड में 39 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1367, खिजरसराय में 35 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 760, बेलागंज में 18 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 659 और गया अर्बन में 37 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1214 बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी. जिसमें टिकारी में 6 बच्चे बेरा टेस्ट पॉजिटिव पाये गये. 

इस कार्यक्रम के तहत कुल 22 मरीजों का इलाज व फॉलोअप किया गया है. छह बच्चे पूरी तरह ठीक हैं. इस कार्यक्रम की पहुंच बढ़ाने तथा बच्चों के पूरी तरह ठीक होने की स्थिति जानने के लिए 11 जून तक राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा यूनिसेफ के अधिकारी फॉलोअप कार्य करेंगे. अन्य बच्चों को जिला के डीइआइसी सेंटर भेजेंगे तथा कॉकहियर इंप्लांट के बाद फोन से फॉलोअप करेंगे.

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