पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सपनों की एक योजना को साकार करने की पहल नवंबर 2022 में शुरू होगी और उसका नतीजा मार्च 2023 में सामने आएगा. दोनों का यह साझा सपना बिहार के लोगों की जातिगत जनगणना से जुड़ा है. राज्य में जाति व आर्थिक गणना कराने के लिए नवंबर में इसकी शुरुआत करने की तैयारी की गई है. गणना की पूरी प्रक्रिया 45 दिनों में पूर्ण करने के लक्ष्य रखा गया है. बाद में रिपोर्ट तैयार करने के बाद इसे मार्च 2023 में सार्वजनिक किया जा सकता है.
दरअसल, जाति व आर्थिक गणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने जिला स्तरीय पदाधिकारियों को प्रशिक्षण के पहले चरण की प्रक्रिया गुरुवार को शुरू की. इसमें 38 जिला मुख्यालय, 534 ब्लॉक मुख्यालय के साथ करीब 248 नगर निकाय के पदाधिकारी शामिल रहे. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 204 जातियों की सूची जिलों में भेजी गई है. इसमें 22 अनुसूचित जाति, 32 अनुसूचित जाति, 30 पिछड़ा वर्ग, 113 अत्यंत पिछड़ा वर्ग, 7 उच्च जाति सूची भेजी है.
राज्य कैबिनेट ने दो जून 2022 को जातीय गणना की मंजूरी दी थी. राज्य में मैनुअल के साथ ऑनलाइन गणना होगी. घर-घर गणना के लिए जाने वाले कर्मी मैनुअल तरीके से फॉर्मेट पर परिवार के मुखिया के नाम, सदस्यों का नाम, जाति, मातृ भाषा, आर्थिक स्रोत में शामिल सरकारी नौकरी, प्राइवेट नौकरी, व्यवसाय, खेती, साइकिल, गाड़ी, मोबाइल, टीवी आदि की जानकारी अंकित करेंगे.
नीतीश कुमार एवं तेजस्वी यादव शुरू से जातीय जनगणना के हिमायती रहे हैं. दोनों के मानना रहा है कि राज्य में लोक कल्याण की योजनाओं को वास्तविक जरुरतमंदों तक पहुँचाने के लिए समाज की सभी जातियों की संख्या और उनकी आर्थिक स्थिति का सही सही विवरण होना चाहिए. इसके लिए नीतीश और तेजस्वी ने केंद्र सरकार से भी जातीय जनगणना कराने की मांग की थी. हालांकि मोदी सरकार ने उनकी इस मांग को सिरे से ख़ारिज कर दिया था. बाद में नीतीश कुमार ने राज्य द्वारा जातीय जनगणना कराने की घोषणा की.