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बिहारी सियासत के "ललबबुआ" बनने की नौटंकी कर रहे तेजस्वी यादव? या फिर नीतीश उन्हे यही साबित कर रहे, कभी "बच्चा" तो कभी नेता..पढ़िए पर्दे के पीछे का सियासी खेल है क्या

बिहारी सियासत के "ललबबुआ" बनने की नौटंकी कर रहे तेजस्वी यादव? या फिर नीतीश उन्हे यही साबित कर रहे, कभी "बच्चा" तो कभी नेता..पढ़िए पर्दे के पीछे का सियासी खेल है क्या

बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को लेकर शनिवार को बड़ी बात कह दी. सीएम ने कहा कि हमको अब कुछ नहीं चाहिए. तेजस्वी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह बच्चा मेरे साथ है, तो हम इसके लिए सब कुछ कर रहे हैं. सीएम के इस बयान के बाद से बिहार में सियासी घमासान मच गया है. विपक्षी नेता जमकर नीतीश कुमार पर तंज कस रहे हैं. दरअसल, शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए पहले मोतिहारी में दीक्षांत समारोह के दौरान अपने दिए गए बयान को लेकर नीतीश कुमार ने सफाई दी. वहीं, उसके बाद तेजस्वी पर पूछे गए सवाल पर नीतीश ने कहा कि लालू यादव को बड़े भाई मानते हैं और तेजस्वी यादव उनके बच्चे ही हुए. अगर बच्चे को आगे बढ़ाने की बता है तो इसमें गलत क्या बोल रहे हैं. हर कोई चाहता है कि बच्चा आगे बढ़े.

इस पर  भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री डॉ. भीम सिंह ने लालू यादव के लाल को सावधान किया है. उन्होंने कहा है कि जदयू नेता तेजस्वी यादव की  ललबबुआ छवि बनाने में जुटे हुए हैं. जिस तरह जदयू नेता तेजस्वी के लिए शब्दों का चयन करते हैं, उससे पता चलता है कि जदयू नहीं चाहता है कि तेजस्वी यादव की छवि गंभीर नेता के रूप में बने. इससे जदयू को फायदा है और तेजस्वी यादव को नुकसान.  डॉ सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि जदयू नेता जान-बूझकर ऐसा करते हैं। तेजस्वी को अपना 'बच्चा और सर्वस्व' कहा जा रहा है. इसके पहले भी तेजस्वी यादव के लिए 'तुम- तड़ाक' जैसे हल्के शब्दों का प्रयोग सार्वजनिक रूप से किया जा चुका है. जबकि पिता होने के बावजूद लालू प्रसाद तेजस्वी के लिए ऐसे संबोधनों का सार्वजनिक प्रयोग नहीं करते हैं. यह बात निश्चित है कि यदि ऐसा ही सार्वजनिक व्यवहार तेजस्वी से होता रहा तो तेजस्वी की छवि 'राजनैतिक ललबबुआ' वाली बन जाएगी. इसलिए तेजस्वी यादव को सावधान होने की जरुरत है.

वहीं, नीतीश कुमार के द्वारा तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी कहने को लेकर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने भी निशाना साधते हुए कहा कि नीतीश कुमार सत्ता के लिए इतना गिर गए हैं कि उन्होंने पहले ही तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी कह दिया था और अब फिर से उन्हें आगे ला रहे हैं. इसी वजह से उनके दो क़रीबी जो की लव और कुश समाज के थे यानी की आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों उन्हें छोड़कर चले गए. नीतीश कुमार ने परिवारवाद और राजद को आगे किया. अब राजद बनाम भाजपा की लड़ाई होगी.परिवारवाद और बिहार के लोगों के हित की लड़ाई होगी.

बिहार की सियासत के सरकार किसके इर्द गिर्द घूमते हैं कहना मुश्कील है.नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़ कर राजद से संबंध जोड़ा तो उनकी रुचि राष्ट्रीय राजनीति के तरफ झुकी. तभी से तेजस्वी को राज्य की बागडोर देने की चर्चा होने लगी. मोतीहारी में मुख्यमंत्री का भाजपा पर दिया बयान सुर्खियां बनी. नीतीश के भाजपा से संबंध पर चर्चा होने लगी तो सीएम ने इसका खंडन करते हुए तेजस्वी को अपना बच्चा बताया और आगामी चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. लेकिन राजनीति में बच्चा कहने का अर्थ क्या है. अब सवाल है कि इसका राजनीतिक अर्थ है क्या. राजनीतिक पंडितों के अनुसार 2024 में केंद्र की राजनीति से भाजपा अगर विदा नहीं होती तो तेजस्वी को बागडोर देने के बाद आखिर नीतीश क्या करेंगे. हालाकि नीतीश को करीब से जानने वाले भी नहीं बता सकते कि नीतीश का अगला कदम क्या होगा. लेकिन विपक्षियों का आरोप है कि तेजस्वी को बच्चा बना कर नीतीश कहीं उन्हें राजनीति रुप से  बच्चे की छवि तो नहीं बना रहे. बहरहाल जो हो नीतीश का तेजस्वी की ओर इशारा करते हुए कहना कि यह बच्चा मेरे साथ है, तो हम इसके लिए सब कुछ कर रहे हैं, विपक्षियों के लिए चर्चा तो बन हीं गया है.



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