PATNA : चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव की धरती पर पहली बार अपने स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान 4 उतारकर दुनिया में नाम कमाने के बाद इसरो अब नया प्रयोग करने जा रही है। इसरो अब Chandrayaan-4 -4 को अंतरिक्ष में टुकड़ों में भेजेगा, इसके बाद उसे स्पेस में ही जोड़ा जाएगा। बताया जा रहा है कि आज तक कभी ऐसा प्रयोग नहीं हुआ है।
इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि इस मिशन के जरिए इसरो चंद्रमा से सैंपल लेकर धरती पर वापस आएगा। इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-4 एक बार में लॉन्च नहीं होगा. चंद्रयान-4 के हिस्सों को दो बार में अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा. इसके बाद चंद्रमा की तरफ जाते हुए चंद्रयान-4 के हिस्सों को अंतरिक्ष में ही जोड़ा जाएगा. यानी असेंबल किया जाएग।
डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा कि हमने चंद्रयान-4 की सारी प्लानिंग हो चुकी है. उसे कैसे लॉन्च करेंगे. कौन सा हिस्सा कब लॉन्च होगा. इसके बाद कैसे उसे स्पेस में जोड़ा जाएगा. फिर उसे कैसे चंद्रमा पर उतारा जाएगा. कौन सा हिस्सा वहीं रहेगा. कौन सा हिस्सा सैंपल लेकर वापस भारत लौटेगा. कई लॉन्चिंग इसलिए करनी पड़ेगी क्योंकि हमारे पास अभी उतना ताकतवर रॉकेट नहीं है. जो चंद्रयान-4 को एक बार में लॉन्च कर सके।
भारत के पास है जोड़ने की तकनीक
इसरो चीफ ने कहा कि हमारे पास डॉकिंग यानी स्पेसक्राफ्ट के हिस्सों को जोड़ने की तकनीक है। यह काम धरती के अंतरिक्ष या फिर चंद्रमा के अंतरिक्ष दोनों जगहों पर कर सकते हैं। यानी पृथ्वी के ऊपर भी और चंद्रमा के ऊपर भी। हम अपनी इस तकनीक को डेवलप कर रहे हैं. डॉकिंग तकनीक के प्रदर्शन के लिए इसरो इस साल के अंत तक SPADEX मिशन भेजेगा।
भारत की भविष्य की प्लानिंग का है हिस्सा
चंद्रयान 4 के टुकड़ों को अंतरिक्ष में जोड़ने का प्रयोग भारत के मिशन 2047 का हिस्सा बताया जा रहा है। 2035 में भारत की योजना अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन स्थापित करने की है। अगर इसरो का यह प्रयोग कामयाब रहता है तो न सिर्फ स्पेस स्टेशन बनाने की योजना कामयाब होगी। बल्कि एक डेढ़ दशक में भारत चांद पर इंसानों को उतारने में भी सफल हो जाएगा।