दलितों को साधने की सबसे बड़ी तैयारी में JDU, एक साथ चिराग और मांझी दोनों को झटका देंगे CM नीतीश, बढ़ेगी NDA टेंशन

पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सियासी रणनीतियों से इन दिनों देश भर में सुर्खियां बटोर रहे हैं. उनकी पहल पर देश के 28 राजनीतिक दलों ने इंडिया नामक विपक्षी गठबंधन बनाया है. अपनी इस सफलता के बाद अब नीतीश की योजना बिहार में एनडीए को मात देने की है. विशेषकर उन राजनीतिक दलों को नीतीश कुमार को बड़ा झटका देना चाहते हैं जो दलित राजनीति के लिए बिहार में जाने जाते हैं. इसमें नीतीश कुमार द्वारा बिहार के मुख्यमंत्री बनाए गए जीतन राम मांझी और रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान प्रमुख हैं. 

दरअसल जीतन राम मांझी की पार्टी हम ने कुछ महीने पहले ही नीतीश के नेतृत्व वाले महागठबंधन से अलग होकर एनडीए का दामन थामा था. वहीं चिराग पासवान ने पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश की पार्टी जदयू को बड़ा झटका दिया था. दोनों नेता संयोग से बिहार में दलित राजनीति के प्रमुख धुरी हैं. ऐसे में जदयू की कोशिश अब दोनों को बड़ा झटका देने की है. इसके लिए जदयू ने नवंबर 2023 में पटना में एक बड़ा आयोजन करने की योजना बनाइ है जिसमें पूरे राज्य से दलित पटना में जुटेंगे. 

जेडीयू 5 नवम्बर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भीम संसद कार्यक्रम का आयोजन करेगा. पार्टी के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत सभी प्रमुख नेता भीम संसद को संबोधित करेंगे. जदयू का आरोप है कि दलित एवं पिछड़े वर्गों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखने का केंद्र की मोदी सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है. इसलिए दलितों के अधिकार और उन्हें हक दिलाने के लिए जदयू का यह आयोजन हो रहा है. माना जा रहा है कि इसी बहाने नीतीश की पार्टी दलितों को अपने पाले में लाकर जीतन राम मांझी और चिराग पासवान को झटका देगी. 

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जानकारों की मानें तो अगर जदयू  बिहार में में पासवान और मुसहर समुदाय के परम्परागत वोट बैंक में सेंधमारी करने में सफल हो जाती है यह एनडीए को भी एक झटका होगा. एनडीए में भाजपा को जीतन राम मांझी और चिराग पासवान के वोटों का बड़ा सहारा मिलता है.  अगर इनके वोट तोड़ने में नीतीश की पार्टी सफल हो जाती है तो यह NDA के लिए लोकसभा चुनाव 2024 में परेशानी का सबब हो सकता है.