पटना- एनडीए के समर्थन से बनी नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट 12 फरवरी को है. विश्वास मत से पहले हीं जदयू को कोर्ट से झटका लगा है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी के एमएलसी राधाचरण सेठ की मुश्किलें और बढ़ गई है. जदयू के विधान पार्षद राधाचरण साह को पटना हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के दौरान बिहार विधानमंडल की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है. राधाचरण साह ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के विश्वासमत के दौरान विधान परिषद् में उपस्थित होने की अनुमति मांगी थी. पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है.इस पर अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.
पटना हाईकोर्ट के जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने एमएलसी राधाचरण साह की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की. राधाचरण साह के वकील ने विश्वासमत के पहले दोनों सदनों के सदस्यों की संयुक्त बैठक में भाग लेने के लिए इजाजत देने की गुहार कोर्ट से लगाई. साह का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ. केएन सिंह ने कोर्ट से कहा कि विश्वासमत में पक्ष और विपक्ष के एमएलए विधानसभा के सदस्य वोट करते हैं. राधाचरण साह विधान परिषद के सदस्य हैं. इन्हें विश्वासमत में मतदान करने का अधिकार नहीं है.
केंद्र सरकार के वकील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ. केएन सिंह ने एमएलसी के उपस्थित रहने के लिए अनुमति देने का कड़ा विरोध करते हुए कोर्ट से कहा कि 12 फरवरी को विश्वासमत के दौरान राधाचरण साह को उपस्थित रहने की कोई आवश्यकता नहीं है.
जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकलपीठ ने जदयू के विधान पार्षद की अर्जी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि गलत जानकारी नहीं देकर वे सही सही जानकारी दें. न्यायाधीश सत्यव्रत वर्मा ने कहा कि जब विधान परिषद के सदस्य को विश्वासमत की कार्यवाही में भाग नहीं लेना है तो फिर क्यों इसे अतिआवश्यक बताकर सुनवाई का अनुरोध किया गया. बहरहाल इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.