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जेडीयू की भीम संसद से दलितों को साधने की तैयारी, क्या नीतीश कर रहे हैं रामविलास पासवान के वोटबैंक में सेंधमारी!

जेडीयू की भीम संसद से दलितों को साधने की तैयारी, क्या नीतीश कर रहे हैं रामविलास पासवान के वोटबैंक में सेंधमारी!

पटना- राजधानी पटना के वेटनरी मैदान में 26 नवंबर को आयोजित होने वाले भीम संसद में शामिल होने के लिए लोगों के आने का सिलसिला जारी है. जाति गणना की रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी का बिहार में पहला ऐसा आयोजन होने जा रहा है. इस कार्यक्रम को सीएम नीतीश कुमार संबोधित करेंगे. उनका फोकस राज्य के समूचे अनुसूचित जाति के वोटरों को साधने की कोशिश रहेगी. आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आरजेडी पहले ही राज्यभर में 'अंबेडकर पर चर्चा' आयोजित कर चुकी है. उसी की तर्ज पर अब जेडीयू ने दलित एवं महादलितों को लुभाने की तैयारी कर ली है. नीतीश की नजर दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा के वोटबैंक पर है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह इस आयोजन के मुख्य अतिथि होंगे. पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में 26 नवंबर को आयोजित होने वाले भीम संसद में पूरे प्रदेश से दलित समुदाय के लोग शिरकत करेने . पहुंचने लगे हैं. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में दलितों के विषय पर विमर्श होगा.

जेडीयू की भीम संसद को आमचुनाव 2024 से पहले दलित वोटबैंक को लामबंद करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. जिसका स्लोगन  संविधान बचाओ, आरक्षण बचाओ, देश बचाओ है. भीम संसद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह समेत विपक्षी दलों के नेता भी संबोधित करेंगे.राज्य में पहली बार इस तरह दलित समुदाय के लोगों का संसद आयोजित किया जा रहा है. लिहाजा, इसका महत्व काफी बढ़ गया है. मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों के उत्थान के लिए काफी काम किया है. उनकी पहल पर आज दलित समुदाय विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ ले पा रहा है. उधर, सांप्रदायिक शक्तियां देश को अस्थिर करने में जुटी हैं. बाबा साहब भीम राव अंबेडकर का संविधान खतरे में है। ऐसे में मौजूदा परिवेश में भीम संसद काफी प्रासंगिक है.

दिवंगत रामविलास पासवान राज्य में बड़ा दलित चेहरा रहे थे। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना करके दलितों के उत्थान की राजनीति की. उन्हीं के कहने पर नीतीश कुमार ने पासवानों को महादलित वर्ग में डाला था. रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो गुटों में बंट गई. बेटे चिराग पासवान ने लोजपा रामविलास और भाई पशुपति पारस ने रालोजपा नाम से नए दल बनाए. अभी दोनों ही गुट एनडीए में शामिल हैं. मुख्यमंत्री नीतीश की पार्टी जेडीयू ने अब इनके वोटबैंक में सेंधमारी की तैयारी कर ली है. नीतीश ने दलित एवं महादलित वोटरों को जेडीयू के पक्ष में करने की जिम्मेदारी अपने करीबी नेता मंत्री अशोक चौधरी को सौंपी है. चौधरी ने भीम संसद को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. उनका दावा है कि पटना में रविवार को होने वाले कार्यक्रम में राज्यभर से एक लाख से ज्यादा दलित एवं महादलित समाज के लोग पहुंच रहे हैं.     

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