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एक्सक्लूसिवः जंगलराज रिटर्न्स....जेल में बंद बाहुबली 'आनंद मोहन' पहुंच गये पटना आवास, पत्नी-RJD विधायक बेटे व समर्थकों के साथ की मीटिंग, MLA कॉलोनी भी गए

एक्सक्लूसिवः जंगलराज रिटर्न्स....जेल में बंद बाहुबली 'आनंद मोहन' पहुंच गये पटना आवास, पत्नी-RJD विधायक बेटे व समर्थकों के साथ की मीटिंग, MLA कॉलोनी भी गए

पटनाः गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड मामले में बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में उपरी अदालत ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।तब से वे जेल में बंद हैं. भले ही आनंद मोहन सहरसा जेल में बंद हों लेकिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अब वो अघोषित तौर पर आजाद हो गये हैं. तभी तो राजधानी पटना में खुलेआम विचरण कर रहे हैं। रक्षाबंधन के दिन 12 अगस्त को आनंद मोहन पुलिस अभिरक्षा में पटना में थे. इस दौरान वे जेल में रहने की बजाय पुलिसिया सुरक्षा में घर-परिवार में घूम रहे थे और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर रहे थे। बिहार के राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि अब किस बात का डर। बिहार में तो अब अपनी सरकार है। ऐसे में अगर जेल की बजाय पूर्व सांसद घर पहुंच रहे तो इसमें आश्चर्य.की कौन सी बात है। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद राजद से विधायक हैं. जबकि पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद राजद की वरिष्ठ नेत्री हैं।

12 अगस्त को घर-परिवार में घूम रहे थे आनंद मोहन 

जानकारी के अनुसार, पूर्व सांसद आनंद मोहन को पटना सिविल कोर्ट में एक केस में पेशी के लिए लाया गया था। 12 अगस्त को वे सीधे अपने पाटलीपुत्रा स्थित आवास पहुंच गये। इसके बाद वहां पर अपने समर्थकों के साथ बैठक की। इस दौरान उनकी पत्नी लवली आनंद और विधायक बेटे चेतन आनंद भी मौजूद रहे। बजाप्ता बैठक की तस्वीर की खिंचाई गई और फेसबुक पर तस्वीर को पोस्ट भी किया गया। आनंद मोहन अपने पाटलिपुत्रा स्थित 166/B स्थित आवास पर काफी समय बिताया। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद वे पटना के विधायक कॉलनी भी गये। रक्षाबंधन के दिन विधायक कॉलनी में कई लोगों ने उन्हें देखा. पूरे तामझाम के साथ फॉच्यूनर गाड़ी में शान से जा रहे थे। उनके साथ पुलिस की एक गाड़ी भी दिखी थी।


पुलिस पर गंभीर सवाल 

अब बड़ा सवाल यही है कि जब पूर्व सांसद आनंद मोहन को कोर्ट में पेशी के लिए पटना लाया गया था तो फिर वे अपने निजी आवास पर कैसे पहुंच गये? वे अपने समर्थकों के साथ बैठक भी किये और फिर समर्थकों के साथ फोटो खिंचवाई और सोशल मीडिया पर तस्वीर डाली गई। वे अपने पाटलिपुत्रा आवास के साथ-साथ कौटिल्यनगर मुहल्ले में भी देखे गये। इस दौरान पुलिस की गाड़ी भी मौजूद रही। कानूनी जानकार बताते हैं कि यह गंभीर प्रश्न है। आखिर जो न्यायिक हिरासत में हो वह अपने घर कैसे पहुंच सकता है। कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। अगर सजायाफ्ता कैदी अपने घर पहुंच गया तो इस मामले में पुलिस अधिक जिम्मेदार है।  जेल मैन्युअल के मुताबिक किसी कैदी को अपने वर्तमान जेल से बाहर के जिलों के अदालत में पेशी के लिए ले जाने पर उस कैदी को उस कोर्ट में सीधे पेशी के लिए लाया जाता है. यदि किसी कारण से देर हुई या अगले दिन बहस होनी है तो फिर उसी स्थानीय कोर्ट के अंदर पड़ने वाले जेल में रहने के लिए ले जाना होता है, ना कि वो निजी आवास पर रहेंगे। सज़ायाफ्ता और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से होता है। इस संबंध में जह हमने रिटायर्ड डीआईजी सुधीर कुमार सिंह से पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि कैदी को उसके घर नहीं ले जाया जा सकता। यह कानूनन गलत है। अगर किसी कैदी को पेशी के लिए दूसरे जिले के कोर्ट में लाया जाता है तब उसे कोर्ट हाजत में रखा जाता है। अगर देर हुई तो थाने में या संबंधित जिले के जेल में रखा जाता है। वहीं इस संबंध में आनंद मोहन के बेटे व राजद विधायक चेतन आनंद से बात करने की कोशिश की गई। एक दर्जन बार फोन करने के बाद भी उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

 आनंद मोहन को सुनाई गयी थी मौत की सजा

गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की हत्या मामले में पटना की निचली अदालत ने पूर्व सांसद आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा सुनाई थी. आनंद मोहन के साथ पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और अरुण कुमार को भी मौत की सजा सुनाई गई थी. बाद में पटना हाईकोर्ट ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया. इसी केस में आनंद मोहन की पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद, छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला, शशि शेखर और छात्र नेता हरेंद्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने दिसंबर 2008 में सबूत के अभाव में इन्हें बरी कर दिया था. आनंद मोहन फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गये, लेकिन अदालत ने 2012 में हाईकोर्ट के फैसले को बहाल रखा. बाकी आरोपी बरी हो गये, लेकिन आनंद मोहन अभी भी जेल में हैं.

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