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कंपनियों के दबाव के आगे झुकी कर्नाटक सरकार, प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय के लिए सौ परसेंट आरक्षण देने के फैसले पर लगाई रोक

कंपनियों के दबाव के आगे झुकी कर्नाटक सरकार, प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय के लिए सौ परसेंट आरक्षण देने के फैसले पर लगाई रोक

DESK : कर्नाटक में बुधवार को एक बिल के कारण नौकरियों में सौ परसेंट आरक्षण  को लेकर प्रस्तावित बिल को लेकर मचे हंगामे के बाद सिद्धारमैया सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। स्टेट कैबिनेट से बिल पास होने के बाद जहां गुरुवार को विधानसभा में इस  बिल को पेश करने की तैयारी थी। वहीं उससे पहले ही बुधवार देर शाम मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दीहै। इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 16 जुलाई को आरक्षण बिल की घोषणा की थी।

दरअसल, सिद्धारमैया कैबिनेट ने इसके लिए नियम तैयार कर लिए थे। कैबिनेट ने 16 जुलाई को बिल पास कर दिया। इसे 18 जुलाई को विधानसभा में पेश करने की बात कही जा रही थी। हालांकि उससे पहले ही इस पर बड़ी इंडस्ट्रीज ने विरोध जताया है।

खत्म हो जाएगी कर्नाटक की ब्रांड वैल्यू, कंपनियां समेट लेगी अपना धंधा

प्राइवेट कंपनियों में रिजर्वेशन के कर्नाटक सरकार के फैसले से औद्योगिक घरानों ने नाखुशी जताई है। उनका कहना है कि इस बिल से भेदभाव बढ़ेगा और इंडस्ट्रीज को नुकसान हो सकता है। नेसकॉम का कहना है कि बिल के आने के बाद कंपनियों के राज्य से बाहर जाने का खतरा है। बेहतर टैलेंट की तलाश में कंपनियां मजबूरन बाहर चली जाएंगी। साथ ही नौकरियों और कर्नाटक के ब्रांड पर भी असर पड़ेगा। स्टार्टअप कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

वहीं मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन सर्विसेज के अध्यक्ष मोहनदास पई ने विधेयक को असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा- सरकार को आरक्षण को अनिवार्य करने के बजाय स्किल डेवलपमेंट और हायर एजुकेशन पर ज्यादा खर्च करना चाहिए।

श्रम मंत्री ने दिया बयान

CM के पोस्ट डिलीट करने पर राज्य के लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने बुधवार दोपहर को सफाई दी, 'कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों की नौकरियों में नॉन-मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 75% और मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50% तक सीमित है।'

कर्नाटक में 20% गैर कन्नड़ आबादी काम करती है

कर्नाटक में 20 फीसदी गैर कन्नड़ आबादी काम करती है। बेंगलुरु की कंपनियों में गैर कन्नड़ कर्मचारियों की तादाद 35 फीसदी आंकी गई है। इनमें से अधिकतर उत्तर भारत, आंध्र और महाराष्ट्र से हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहर की कुल आबादी का 50 फीसदी गैर कन्नड़ भाषी हैं।


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