पटना- किडनी 24 घंटे शरीर के खून को साफ करती हैं और यह शरीर से विशाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है. खान पान में बदलाव और फास्ट फूड की बढ़ती आदतों के कारण किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसकी चपेट में अब युवा भी आ रहे हैं. किडनी के खतरों से सावधान करने के लिए हर साल मार्च महीने के दूसरे गुरुवार को ‘वर्ल्ड किडनी डे’ मनाया जाता है.
आइजीआईएमएस के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर रोहित उपाध्याय ने बताया कि अत्यधिक एंटीबायोटिक्स किडनी में एंटी ऑक्सीटेंटस की मात्रा को कम करता है. किडनी में जो सामान्य ऑटोरेगुलेशन होता है, उसे बिगाड़ता है. कुछ एंटीबायोटिक और दर्द निवारक किडनी में एलर्जिक या इंटरस्टियल नेफ्राइटिस नामक बीमारी पैदा करते है, जिससे उचित समय पर इलाज नहीं होने पर किडनी में क्रोनिक बदलाव आ जाता है.
प्रोफेसर डॉ रोहित ने बताया कि लगातार वजन कम होना,चेहरे पर सूजन दिखाई देना,पेशाब में जलन,पेशाब का रंग बदल जाना,पेशाब करने में अधिक समय लगाना,पेट में दर्द,भूख न लगना,थकान आदि किडनी के लक्षण हो सकते हैं.
आइजीआईएमएस के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रोहित उपाध्याय ने बताया कि किडनी की बीमारी से बचने के लिए अपनी दैनिक दिनचर्या में सुधार करना जरुरी है. फास्ट फूड से दूरी बना कर रखें साथ हीं प्रतिदिन आधे घंटे पैदल अवस्य चलें .उन्होंने कहा कि घर का बना सादा और पोषक खाना खाएं और पानी और दूसरे तरल पदार्थों का सेवन करें.
डॉक्टर रोहित के अनुसार पेशाब के इंफेशन को नजरअंदाज नहीं करें. बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबॉयोटिक के इस्तेमाल से परहेज करें. हाइपरटेंशन और डायबिटीज को कंट्रोल में रखें
बता दें पटना के आइजीआइएमएस, एम्स, एनएमसीएच, पीएमसीएच, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में किडनी डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है. इसमें एम्स और आइजीआइएमएस में कुछ शुल्क लेकर डायलिसिस की जाती है. जबकि अन्य तीनों अस्पतालों में यह सुविधा नि:शुल्क है. जबकि बिहार में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा सिर्फ आइजीआइएमएस अस्पताल में है.