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किसान आंदोलन को लेकर चेतावनी : अगर सरकार ने आज बातचीत में हमारी मांगे नहीं मानीं तो 8 दिसंबर को होगा भारत बंद

किसान आंदोलन को लेकर चेतावनी : अगर सरकार ने आज बातचीत में हमारी मांगे नहीं मानीं तो 8 दिसंबर को होगा भारत बंद

डेस्क... कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब तेज होता दिखाई दे रहा है। किसानों ने अब सराकर को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो हम 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। शनिवार यानी आज सरकार से पांचवें दौर की बातचीत होने से पहले किसानों ने बड़ा ऐलान किया है। किसान संगठन आज प्रधानमंत्री का पुतला भी फूंकने की तैयारी में हैं। 

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव, एचएस लखोवाल ने कहा कि 5 दिसंबर को देशभर में पीएम मोदी के पुतले जलाए जाएंगे। हमने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। सिंधु बॉर्डर पर डेरा डाले अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि केंद्र सरकार का कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा। हन्नान मोल्लाह ने कहा कि इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा।

किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक की 10 बड़ी बातें

1. दिल्ली के बॉर्डर बिंदुओं पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार नौ दिनों से जारी है। किसान नेताओं और सरकार के बीच गुरुवार को हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल सका था। प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि केंद्र सरकार के कृषि संबंधी कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की अनुकंपा पर छोड़ दिया जाएगा।

2.  किसान संगठनों का कहना है कि अब ये केवल किसान आंदोलन नहीं है ये जनआंदोलन बन चुका है। सरकार को किसानों की बात माननी होगी। किसान शनिवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। 

3. केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को जारी रखने के लिए कार्यकारी आदेश ला सकती है। इसके अलावा अन्य मांगों को पूरा करने के लिए संबंधित कानूनों के नियमों में बदलाव किए जाने की संभावना है। हालांकि किसान संगठन इसके लिए तैयार होंगे, इसकी उम्मीद कम है। 

4. कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक गुरुवार की बैठक में किसान संगठनों की ओर से नए तीन कृषि कानूनों को लेकर आपत्तियों पर विचार किया गया है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी जारी रखने को लेकर कानूनी प्रावधानों करने की है। इसके लिए सरकार कार्यकारी आदेश का रास्ता अपना सकती है। ऐसा करने से किसानों की चिंता दूर हो जाएगी और मंडियों व खुले बाजार में कृषि उपज एमएसपी पर बिकने का रास्ता साफ हो जाएगा।

5. अधिकारी के मुताबिक, ठेका खेती में किसान व कंपनी के बीच विवाद होने पर एसडीएम-डीएम कोर्ट के अलावा किसानों को अदालत की शरण में जाने का विकल्प रहेगा। इसके लिए कानून के नियमों में बदलाव किया जा सकता है। आवश्यक खाद्य नियम में खरीद की सीमा हटाने को लेकर पैन कार्ड के अलावा कंपनी को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा खुले बाजार में टैक्स लागू करने अथवा राज्य सरकार से सरकारी मंडियों मे टैक्स समाप्त करने की अपील कर सकती है। 

6. इसके अलावा संशोधित बिजली विधेयक, पराली पर जुर्माना, किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने जैसी मांगों को मान लेने की संभावना है। अधिकारी ने बताया कि तीनों कृषि कानून में संशोधनों के जरिए किसानों की मांग पूरी कर किसानों से आंदोलन समाप्त करने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि पहले संसद का विशेष सत्र बुलाकर तीनों कृषि कानून रद्द किए जाएं। इसके बाद एमएसपी को लेकर नया कानून बनाया जाए जिसमें किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व हो। सरकार इसके लिए तैयार नहीं है, जिससे टकराव व आंदोलन समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

7. किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें दिल्ली की सीमाओं पर जमे किसानों को हटाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली-एनसीआर के सीमावर्ती इलाकों से किसानों को प्रदर्शन से तुरंत हटाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इस प्रदर्शन से कोविड-19 के प्रसार का खतरा पैदा हो गया है। साथ ही लोगों को आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है। याचिका में कहा गया है कि प्राधिकारियों को बॉर्डर खुलवाने के आदेश दिए जाएं। साथ ही किसी निश्चित स्थान पर सामाजिक दूरी और मास्क आदि के साथ प्रदर्शन को शिफ्ट किया जाए।

8. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा किसान आंदोलन पर की गई टिप्पणी को लेकर भारत सख्त हो गया है। शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित कनाडाई उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय द्वारा तलब किया गया और कड़ी भाषा मे डिमार्शे जारी कर कनाडा से आपसी संबंधों पर असर पड़ने की चेतावनी दी गई है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसानों के मुद्दों पर कनाडा के नेताओं की टिप्पणी हमारे आंतरिक मामलों में बर्दाश्त नहीं करने लायक हस्तक्षेप है। मंत्रालय ने उच्चायुक्त से कहा कि भारतीय किसानों से संबंधित मुद्दों पर कनाडा के प्रधानमंत्री, कुछ कैबिनेट मंत्रियों और संसद सदस्यों की टिप्पणी हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है, इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।

9. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने केंद्र के नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए आंदोलन का ऐलान किया है। उनकी अगुवाई में महागठबंधन के नेता शनिवार को गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना देंगे। 

10. पटना में चल रही भाकपा-माले की केंद्रीय कमेटी की बैठक में दूसरे दिन नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे आंदोलन पर चर्चा हुई। बैठक में पार्टी के महासचिव कॉ. दीपंकर भट्टाचार्य सहित देश के विभिन्न इलाकों से पार्टी के नेता भाग लिया। बैठक में तय हुआ कि कृषि बिलों की वापसी की मांग पर भाकपा-माले पांच दिसंबर को पूरे बिहार में चक्का जाम करेगा। 

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