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भगवान बनने की कोशिश ना करें केके पाठक, सीमा में रहकर करें काम... कांग्रेस ने खोला मोर्चा, गिरिराज को कहा छोटा दिमाग का आदमी

भगवान बनने की कोशिश ना करें केके पाठक, सीमा में रहकर करें काम... कांग्रेस ने खोला मोर्चा, गिरिराज को कहा छोटा दिमाग का आदमी

पटना. सीपीआई के बाद कांग्रेस ने भी केके पाठक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक कोई भगवान नहीं हैं. वे सरकार के हिस्से के रूप में काम करें तो बेहतर होगा. लेकिन केके पाठक कई बार अपनी सीमा लाँघ जाते हैं जो सही नहीं है. शिक्षा विभाग की ओर से आए दिन जारी होने वाले आदेशों से नीतीश सरकार की हो रही किरकिरी पर शुक्रवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने केके पाठक को जमकर सुनाया. उन्होंने कहा कि पाठक के पदभार सँभालने के बाद से शिक्षा के सुधार में कई काम हुए हैं. यही नीतीश सरकार चाहती है. 

हालांकि केके पाठक के कई आदेश ऐसे रहे हैं जिसमें दिखता है कि वे सीमा के पार चले जाते हैं. शिक्षकों को संघ बनाने से रोकने का आदेश हो या उन्हें अपनी किसी बात को रखने का अधिकार नहीं देना. यह सब अफसराना निर्णय सही नहीं है. हाल ही में स्कूली छुट्टी में जो बदलाव किए गए वह भी बेवजह का रहा. शकील अहमद ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कि बीजेपी का काम ही बांटों और राज करो रहा है. भाजपा दोहरे चरित्र की पार्टी है और वह बिहार में शिक्षा विभाग के आदेश पर वही रूप दिखा रही है. 

वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा बिहार के करीब 3000 मदरसों में अवैध काम होने और उन्हें बंद करने की मांग करने पर शकील अहमद ने उन्हें छोटा दिमाग का आदमी बताया. अहमद ने कहा कि देश में जैसे गुरुकुल, पाठशाला और विद्यालय चलते हैं, वैसे ही मदरसा चलता है. मदरसा में ही आधुनिक शिक्षा दी जाती है. साथ ही वहां धार्मिक शिक्षा भी दी जाती है. लेकिन गिरिराज सिंह भले ही शरीर से बड़े कद काठी वाले हों लेकिन दिमाग से छोटी सोच के व्यक्ति हैं. इसलिए वे सिर्फ वही बातें करते हैं जिससे समाज में झगड़ा पैदा हो. 

दरअसल, गिरिराज ने कहा कि बिहार में 3000 से ज्यादा मदरसे हैं. उन मदरसों में कई अवैध रूप से चलाए जा रहे हैं. उन्होंने नीतीश सरकार से अपील की है कि इन मदरसों को जल्द से जल्द बंद कराया जाए और बाकि मदरसों में विज्ञान की पढ़ाई शुरू की जाए. उन्होंने नीतीश कुमार को इस बात से भी अगाह किया है कि बिहार में अगर इसी तरह मदरसों की संख्या में इजाफा होता रहेगा तो आने वाले 20 सालों में न धर्म बचेगा- न धन.


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