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भाजपा के एजेंट हैं केके पाठक ! नीतीश कुमार की छवि धूमिल करने का कर रहे हैं काम... जानबूझकर सरकार को कराते हैं बदनाम, महागठबंधन MLA के गंभीर आरोप

भाजपा के एजेंट हैं केके पाठक ! नीतीश कुमार की छवि धूमिल करने का कर रहे हैं काम... जानबूझकर सरकार को कराते हैं बदनाम, महागठबंधन MLA के गंभीर आरोप

पटना. अपने निर्णयों से अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया है. महागठबंधन सरकार की प्रमुख सहयोगी वामपंथी पार्टी के विधायक संदीप सौरव ने गुरुवार को यह आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केके पाठक जो भी निर्णय लेते हैं उससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि धूमिल होती है. सरकार की बदनामी झेलनी पडती है. इससे साफ जाहिर होता है कि केके पाठक जानबूझकर नीतीश सरकार के लिए मुसीबत पैदा करते हैं और भाजपा को सहयोग कर रहे हैं. 

शिक्षा विभाग द्वारा सीपीआई एमएलसी संजय सिंह की पेंशन रोकने के आदेश को उन्होंने तानाशाही बताया. उन्होंने कहा कि बिहार लोकतंत्र की जननी है लेकिन अब बिहार में धरना प्रदर्शन और शिक्षा विभाग की किसी नीति की आलोचना करने का किसी को अधिकार नहीं दिया जा रहा है. बिहार में शिक्षकों की आबादी करीब 5 लाख है लेकिन उन्हें अपनी बात बोलने का अधिकार नहीं मिल रहा है. यह समझना चाहिए की शिक्षा विभाग के अंदर कोई व्यक्ति है जो गेम कर रहा है. शिक्षा विभाग में लोगों को नौकरी देने, बिहार में कास्ट सर्वे होने, आरक्षण का दायरा बढ़ने से सरकार के प्रति साकारात्मक माहौल है. लेकिन केके पाठक भारतीय जनता पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहा है. उनके माध्यम से बिहार सरकार की छवि को धूमिल करने के लिए इस प्रकार का निर्णय किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि भाजपा के पास सिर्फ हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा रहता है. लेकिन केके पाठक ऐसे आदेश जारी करते हैं जिसका फायदा भाजपा को हो. स्कूलों में छुट्टियाँ खत्म करने का फैसला भी वैसा ही रहा. एक –दो छुट्टी रद्द कर उन्होंने भाजपा को मौका दिया कि नीतीश सरकार को बदनाम किया जाए. गर्मी की छुट्टी का अजीबोगरीब आदेश देकर शिक्षकों में निगेटिव मैसेज दिया गया. यह दिखाता है कि केके पाठक सिर्फ नीतीश सरकार को बदनाम करने और भाजपा को मौका देने का काम करते हैं. 

सौरव ने कहा कि अब केके पाठक की हिम्मत इतनी ज्यादा हो गई है कि वे एमएलसी की पेंशन पर रोक लगा दिए हैं. केके पाठक का सारा निर्णय उसी तरह है जैसा निर्णय भाजपा लेती है. लोगों की आवाज को दबाने का काम भाजपा करती है और केके पाठक भी उसी तरह का काम कर रहे हैं. 

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