DESK. दिल्ली. दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत का संविधान भी बेहद खास है. 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ था. इसी दिन से देश में गणतंत्र दिवस मनाना शुरू हो गया. संविधान को तैयार करने और उसे लागू करने के बीच 1068 दिन का समय लगा था. यानी भारत का संविधान में 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार हुआ था.
आजादी के बाद जब देश कई प्रकार की आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा था उस दौर में संविधान तैयार करने पर आने वाले खर्च का वहन करना भी बड़ी चुनौती थी. बावजूद इसके संविधान को तैयार करने के लिए एक समिति बनाई गई. कहा जाता है कि तब बेहद सीमित संसाधनों में संविधान के प्रारूप को तैयार करने की पहल की गई. करीब तीन वर्ष तक चले कार्य के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ.
उस समय संविधान को इसको तैयार करने में करीब 300 लोग शामिल थे. संविधान को तैयार करने से कई देशों के दौरे हुए. उन लोगों की सैलरी और इस दौरान इस्तेमाल हुई स्टेशनरी तक को जोड़ दिया जाए तो संविधान के लागू होने तक उस परकरीब 6.4 करोड़ रुपए खर्चा आ चुका था. अगर उस हिसाब से इसकी कीमत की आज के समय पर गणना की जाए तो कई सौ करोड़ रुपए बैठ जाएंगे.
वैसे मौजूदा समय में संविधान को लेकर खूब चर्चा होती है। देश के लिखित संविधान में कई बार बदलाव भी देखने को मिले हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इस शब्द का इस्तेमाल अपने-अपने मतलब से वक्त और मौके के साथ करते हैं. 2 साल 11 महीने और 18 दिन यानी 1068 दिन में तैयार संविधान को 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं.
मौजूदा समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं. विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया. 31 दिसंबर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थीं. प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी. संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 को शुरू था हुआ जो 26 नवंबर 1949 तक चला. 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया. इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य मौजूद थे.