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नीतीश के सपने को साकार करेंगे ललन और देवेश, भाजपा को हराने की दोनों पर अहम जिम्मेदारी

नीतीश के सपने को साकार करेंगे ललन और देवेश, भाजपा को हराने की दोनों पर अहम जिम्मेदारी

पटना. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठजोड़ बनाने की मुहिम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है. वे इसके लिए पूरी तैयारी से आगे बढ़ते भी दिख रहे हैं. जल्द ही पटना में विपक्षी दलों की बैठक भी हो सकती है जिसे सफल बनाने के लिए नीतीश कुमार खास रणनीति बना रहे हैं. नीतीश कुमार ने अब अपनी इस मुहिम को सफल बनाने के लिए न सिर्फ खुद को सक्रिय किया है बल्कि अपने कई भरोसेमंद साथियों को भी अहम जिम्मेदारी दे दी है. इसमें जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चन्द्र ठाकुर के नाम बेहद खास हैं. 

नीतीश कुमार और ललन सिंह की दशकों पुरानी दोस्ती जगजाहिर है. यही वजह है कि नीतीश जब विपक्षी एकता की पहल को आगे बढ़ाने चले तो उनके इस फैसले पर हर जगह मजबूती से ललन सिंह खड़े दिखते हैं. और अब इसी कड़ी में देवेश चंद्र ठाकुर का नाम भी जुड़ गया है. दरअसल, देवेश चंद्र ठाकुर ने मुंबई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की. उनकी इस मुलाकात को ऐसे तो शिष्टाचार मुलाकात कही जा रही है लेकिन इसके सियासी मायने हैं. कहा जा रहा है कि देवेश चंद्र ठाकुर ने नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की मुहिम से जुड़ने के लिए उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार आग्रह किया है. 

नीतीश कुमार का देवेश चंद्र ठाकुर को उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिलने के लिए भेजे जाने के पीछे प्रमुख कारण है. देवेश चंद्र ठाकुर लम्बे अरसे से महाराष्ट्र में सक्रिय हैं. वहां के कई राजनेताओं से उनके आत्मीय और मधुर संबंध हैं. इसमें उद्धव ठाकरे और शरद पवार का नाम भी शामिल है. महाराष्ट्र लोकसभा सीटों के लिहाज से भी अहम है. यहां लोकसभा की 48 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन था. 2019 में बीजेपी ने 48 में से 23 सीटें जीती थी, जबकि शिवसेना ने 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. उस वक्त NCP ने चार, कांग्रेस और अन्य के एक-एक उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. 

अब महाराष्ट्र में सियासी हालात बदल चुके हैं. नीतीश कुमार का मानना है कि अगर उद्धव ठाकरे और शरद पवार एक साथ चुनाव मैदान में उतरते हैं तो इससे वहां बड़ा राजनीतिक बदलाव देखने को मिलेगा. माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों से नीतीश ने देवेश चंद्र ठाकुर को खास तौर पर वहां भेजा है. अगर नीतीश की पहल सफल होती है तो विपक्षी एकता में नीतीश कुमार को दो और दलों का साथ उद्धव ठाकरे और शरद पवार के रूप में मिल जाएगा. इससे महाराष्ट्र में भाजपा को घेरने में नीतीश बड़े स्तर पर सफल हो सकते हैं. 

वहीं पिछले दिनों ही जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. इसके पीछे भी मूल कारण विपक्षी एकता की पहल को सशक्त करना था. अगर झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झामुमो ने नीतीश के साथ आने का फैसला किया तो इससे झारखंड में भी भाजपा के खिलाफ एक मजबूत धड़ा खड़ा हो सकता है. माना जा रहा है कि नीतीश ने इसे सफल बनाने की जिम्मेदारी ललन सिंह को दी है. इसीलिए उन्होंने हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी. 

राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार खुद जहाँ मल्लिकार्जुन खड़गे, अरविंद केजरीवाल, सीताराम येचुरी, डी राजा, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मिल चुके हैं. वहीं अब वे ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मिलेंगे. इस सारी कवायद के पीछे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद पटना में होने वाली संभावित विपक्षी दलों की बैठक में ज्यादा से ज्यादा दलों को जोड़ना है. सूत्रों के अनुसार ललन सिंह को हेमंत सोरेन ने और देवेश चंद्र ठाकुर को उद्धव ठाकरे और शरद पवार की ओर सहमति मिल गई है वे बैठक में आएंगे. 


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