लखीसराय. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह का दावा है कि बिहार शराबबंदी के फेल होने से जुडी जो खबरें चलती हैं उसका कारण है पत्रकारों को शराब पीने के लिए नहीं मिलती. उन्होंने मंगलवार को यह दावा लखीसराय में किया. जनसमूह को संबोधित करते हुए ललन सिंह ने कहा, महिलाओं की मांग पर नीतीश कुमार ने शराबबंदी का निर्णय लिया. आज बहुत से अख़बार और मीडिया वाले लोग नीतीश कुमार के खिलाफ है क्योंकि उन्हें दारू पीने के लिए नहीं मिलता. दारू पीने के लिए नहीं मिलता तो सीएम नीतीश क्या करें? सीएम नीतीश आपकी मौज मस्ती देखें या बिहार की जनता को देखें. महिलाओं की मांग पर उन्होंने शराबबंदी की. आज उसी का नतीजा है कि घरेलू हिंसा और सड़क पर जो उत्पात हो रहा था उसमें कमी आई है.
ललन सिंह भले बिहार में शराबबंदी के बाद भी शराब की जब्ती और अक्सर जहरीली शराब से होने वाली मौतों से जुडी खबरों को पत्रकारों को दारू न मिलने के कारण बताएं. लेकिन, इसी महीने अगस्त में बिहार में जहरीली शराब पीने से छपरा के भुवालपुर गांव में 7 लोगों की मौत हुई है. मार्च 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 2015 के बाद से अब तक पिछले छह वर्षों में शराब के मामले से जुड़े 2.03 लाख मुकदमे दर्ज हो चुके हैं तो तीन लाख से अधिक लोगों को इस कानून ने जेल के सलाखों के पीछे भेज दिया. इसके बाद भी आंकड़े बता रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शराबबंदी आज तक सफल नहीं हुई है.
वर्ष 2021 की बात करें तो विभिन्न रिपोर्टों में दावा किया गया कि जहरीली शराब करीब 85 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है. इतना ही नहीं शराब जब्ती का सिलसिला भी लगातार बना हुआ है. वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस), 2020 की रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. बिहार में 15.5 प्रतिशत पुरुष शराब का सेवन करते हैं. वहीं, इसकी तुलना में महाराष्ट्र, जहां शराबबंदी नहीं है, वहां शराब पीने वाले पुरुषों का प्रतिशत महज 13.9 है.
एनएफएचएस की इसी रिपोर्ट के अनुसार बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 15.8 प्रतिशत और शहरी इलाकों में 14 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं. महिलाओं के मामले में बिहार के शहरी इलाके की 0.5 % व ग्रामीण क्षेत्रों की 0.4% महिलाएं शराब पीती हैं. महाराष्ट्र के शहरी इलाके में 0.3% और 0.5% महिलाएं शराब पीती हैं. जाहिर है शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब मिलती है यह हकीकत है. ऐसे में ललन सिंह ने शराबबंदी की वास्तविक स्थिति से मुंह मोडते हुए अजीबोगरीब दावा किया कि पत्रकारों को शराब नहीं मिलती इसलिए इससे जुडी खबरें चलती हैं.