पटना. राजद एमएलसी सुनील सिंह ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा किन मुद्दों पर जनता के बीच वोट मांग सकती है और कैसे वह अपनी चुनावी बैतरणी पार लगाएगी इसे लेकर रविवार को बड़ा संकेत दिया है. राजद सुप्रीमो लालू यादव के करीबी माने वाले सुनील सिंह ने एक तरह से अपनी पार्टी राजद सहित विपक्षी दलों को संकेत दे दिया है कि अगर आपको लोकसभा चुनाव की तैयारी में उतरना है तो उसके पहले भाजपा किस अहम मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर सकती है उसे समझ लीजिये.
सुनील सिंह ने सोशल मीडिया पर किए एक पोस्ट में कहा है कि ‘मुझे ऐसा महसूस होता है कि बीजेपी आगामी लोकसभा का चुनाव ज्ञानवापी और राम मंदिर रूपी नाव पर सवार हो बैतरणी पार करने की कोशिश करेगा!’ दरअसल, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का शुभारंभ अगले वर्ष जनवरी में होना है. इसके लिए तारीखों की घोषणा भी हो गई है. अयोध्या का राम मंदिर हमेशा से भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से उर्वरक देने के काम करता रहा है. वर्ष 1980 के दशक से भाजपा की राजनीति का केंद्र राम मंदिर रहा. अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे भाजपा के नेताओं ने इसे राष्ट्रीय स्तर पर मुद्दा बनाया और केंद्र में सरकार भी बनाई.
वहीं वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भी भाजपा के लिए यह अहम मुद्दा बना रहा. वहीं सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद और वर्ष 2019 में दूसरी बार केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को अंतिम रूप देने में काफी तेजी आई. पीएम मोदी ने भूमि पूजन किया और अब निर्माण तेजी से गतिमान है. इसे एक तरह से भाजपा की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है कि जिसे मुद्दा बनाकर वर्षों तक राजनीतिक संघर्ष हुआ वह अब अयोध्या में साकार हो रहा है. वहीं क़ानूनी विवादों में फंसा वाराणसी का ज्ञानवापी परिसर भी अब सर्वे के दौर में पहुंच चुका है. ऐसे में अगर ज्ञानवापी पर कोर्ट ने हिंदू पक्ष के दावों को सही मान लिया तो यह भी भाजपा के लिए एक राजनीतिक संजीवनी हो सकती है.
राजद एमएलसी सुनील सिंह ने सम्भवतः इसी को भांपते हुए अपनी पार्टी राजद सहित विपक्ष के गठबंधन इंडिया को बताने की कोशिश की है कि अगले चुनाव में अयोध्या का राम मंदिर और वाराणसी का ज्ञानवापी भाजपा का चुनावी मुद्दा बन सकता है. भाजपा इसे एक बड़ी राजनीतिक उपलब्धि के तौर पर देश के सामने चुनावी जनसभाओं में पेश कर सकती है. ऐसे में देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा यह मुद्दा भाजपा अपने लिए वोट की राजनीति के तौर पर भूना सकती है. सुनील सिंह ने इसलिए साफ किया है कि अब भाजपा इन दोनों के सहारे अपनी चुनावी बैतरणी पार लगाने की कोशिश कर सकती है. वहीं यह विपक्ष को एक संकेत भी है कि आपकी तैयारी भी भाजपा के खिलाफ इन दो मुद्दों के काट पर होनी चाहिए.