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मधेपुरा में होगी लालू-तेजस्वी के एमवाई समीकरण की अग्निपरीक्षा, 1967 से सिर्फ यादव ही बना सांसद, इस बार किसका है जोर

मधेपुरा में होगी लालू-तेजस्वी के एमवाई समीकरण की अग्निपरीक्षा, 1967 से सिर्फ यादव ही बना सांसद, इस बार किसका है जोर

पटना. 1967 में मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से सभी सोलह चुनावों और उपचुनावों में गोप या यादव उम्मीदवारों ने सीट जीती है. यही कारण है कि मधेपुरा को लेकर कहा जाता है ‘रोम पोप का –मधेपुरा गोप का’. यह वही मधेपुरा है जहां जहां से बीपी मंडल हुए. वह 1968 में एक महीने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे, लेकिन उन्हें सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में सेवा देने के लिए जाना जाता है, जिसे मंडल आयोग के नाम से जाना जाता है. मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद ही सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ. 

मधेपुरा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव जैसे नेताओं को लोकसभा भेजा है. 2019 में, जनता दल (यूनाइटेड) के दिनेश चंद्र यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के उम्रदराज नेता शरद यादव को हराया. हालाँकि मध्य प्रदेश से आने वाले शरद यादव ने मधेपुरा से चुनाव लड़ने और जीतने के कई रिकॉर्ड भी बनाए. उसमें समय शरद यादव के प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद भी रहे. शरद ने चार बार 1991, 1996, 1999 और 2009 में मधेपुरा सीट जीती, और 1998, 2004, 2014 और 2019 में हार गए. 1998 और 2004 में, शरद यादव लालू प्रसाद से हार गए. उसी मधेपुरा में इस बार सियासी लड़ाई का केंद्र दो यादवों के बीच है. 

2024 की लड़ाई के लिए, राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने पटना कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर कुमार चंद्रदीप यादव को मैदान में उतारा है. वह मधेपुरा के पूर्व सांसद रामेंद्र कुमार यादव के बेटे हैं, जो 1989 में जनता दल के टिकट पर इस सीट से जीते थे. वहीं जदयू ने अपने निवर्तमान सांसद दिनेश चंद्र यादव पर ही भरोसा जताया है. वहीं, मधेपुरा के छह विधानसभा क्षेत्रों में जद (यू) के विधायक चार का प्रतिनिधित्व करते हैं, और राजद और भाजपा के एक-एक विधायक हैं. पिछले चुनाव में जदयू उम्मीदवार ने मधेपुरा में करीब 54.40 फीसदी वोट हासिल किया था. वहीं राजद उम्मीदवार के खाते में 28.13 प्रतिशत वोट ही आया था.

ऐसे में जो भी पार्टी जीतेगी, यह यादवों की जीत होगी यह इस बार भी होगा. लालू यादव ने यहां से सांसद रहते हुए इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्ट्री, विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात दी और आज भी यह लोगों के जेहन में है. मधेपुरा में आलमगंज, बिहारीगंज, मधेपुरा और सहरसा जिले में सोनबरसा, सहरसा, महिषी में तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों में फैला, मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र कोसी नदी के समतल मैदान पर स्थित है. ऐसे में यहां बाढ़ की समस्या आज भी हर साल की विपदा है. 

जातियों समीकरणों के आधार पर साढ़े तीन लाख यादव, करीब दो लाख मुस्लिम, एक लाख 80 हजार ब्राह्मण, सवा लाख राजपूत और एक लाख से ज्यादा मुसहर सबसे अहम मतदाता वर्ग हैं. वहीं शेष जातियों की संख्या पांच लाख से ज्यादा है. इन्हीं वोटों का बंटवारा जीत-हार का आधार माना जा रहा है. अब देखना अहम होगा कि 7 मई के चुनाव में यादव किस ओर जाता है. लालू यादव और तेजस्वी के हाथों को मजबूत करेगा या एनडीए के साथ यादव रहेगा इससे मधेपुरा बड़ा संदेश देगा. 

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