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'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम को नेता प्रतिपक्ष ने बताया नाटक, कहा अपने विभाग के शिकायतों का भी निपटारा नहीं कर पा रहे सीएम

'जनता के दरबार में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम को नेता प्रतिपक्ष ने बताया नाटक, कहा अपने विभाग के शिकायतों का भी निपटारा नहीं कर पा रहे सीएम

PATNA : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि कहा है कि जनता के दरबार में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम नाटक है क्योंकि मुख्यमंत्री के अपने विभाग गृह और पुलिस महानिदेशक कार्यालय में शिकायत पेंडिंग है और सुनवाई नहीं हो रही है। भारत सरकार की केंद्रीकृत शिकायत निवारण प्रबंधन प्रणाली ने 5 दिसंबर 2023 तक की समीक्षा कर शिकायत निष्पादन के बिहार सरकार के दावों की पोल खोल दी है। सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री का विभाग रहने के बावजूद गृह विभाग में 124 शिकायतों में से 64 मामलों में सुनवाई नहीं हुई है। पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में 1067 शिकायत में 474 पेंडिंग है। जब अपने विभाग की शिकायत का निपटारा मुख्यमंत्री नहीं करा पा रहे हैं तो जनता दरबार का नाटक क्यों करते हैं? 

सिन्हा ने कहा कि आपदा विभाग के 50 में से 50 मामले, शिक्षा विभाग के 1536 में 819, राजस्व एवं भूमि सुधार के 281 में से 250, पंचायती राज विभाग के 126 में 112 मामले पेंडिंग है। सहकारिता विभाग के 106 में 101 पेंडिंग और कृषि विभाग के 229 में 50 मामले पेंडिंग है और अधिकांश में सुनवाई भी नहीं हुई है। सिन्हा ने कहा कि ऊर्जा मंत्री बड़ी-बड़ी बात करते हैं। परन्तु उनके विभाग में 83 मामलों में से 74 पर सुनवाई नहीं हुई है। विभाग को दुरुस्त करने के बजाये विपक्षियों को ज्ञान देने में लगे रहते हैं। ऊर्जा विभाग में भ्रष्टाचार अपने आप में राज्य व्यापी मामला है। 

सिन्हा ने कहा कि राजस्व और भूमि सुधार विभाग में 281 में से 250 शिकायत पेंडिंग रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य के लोग अवगत है कि जमीन मापी के लिए सी. ओ बिना पैसा लिए आदेश पारित नहीं करते हैं। विभागीय मंत्री ट्रांसफर पोस्टिंग में उगाही के लिए परेशान रहते हैं। सिन्हा ने कहा कि कृषि,श्रम संसाधन, समाज कल्याण सहित अनेक विभागों में शिकायतों का अंबार लगा रहता है जो केंद्रीयकृत शिकायत निवारण प्रबंधन प्रणाली के परिधि से बाहर है। प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक लाखों शिकायतों का निपटारा नहीं हो पा रहा है। 

सिन्हा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के सन्दर्भ में श्वेतपत्र जारी करें। साथ ही विभागीय समीक्षा कर शिकायतों पर ध्यान देकर त्वरित निष्पादन सुनिश्चित कराएं। अभी प्रशासनिक अराजकता की यह स्थिति है कि मुख्यमंत्री के आदेश का भी अनुपालन नहीं होता है। न्यायालय के आदेश की भी परवाह अधिकारी नहीं करते हैं।

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