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LJP स्थापना दिवस पर पार्टी सांसदों ने भी 'चिराग' से बना ली दूरी! कोई दिल्ली में तो किसी ने मुजफ्फरपुर में पूरा किया कोरम

LJP स्थापना दिवस पर पार्टी सांसदों ने भी 'चिराग' से बना ली दूरी! कोई दिल्ली में तो किसी ने मुजफ्फरपुर में पूरा किया कोरम

पटनाः लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान की कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी के अंदर भी भारी नाराजगी है. यूं कहें कि चिराग चहुंओर घिर गए हैं। सीएम नीतीश को जेल भेजने की बात कहने वाले चिराग पासवान की बिहार की जनता ने वास्तविक हैसियत में ला खड़ा किया है. बिहार विस चुनाव परिणाम के बाद अब पार्टी सांसदों ने भी चिराग से दूरी बना ली है। जानकार बताते हैं कि लोजपा के सांसद भी अपने सुप्रीमो की कार्यप्रणाली से खुश नहीं हैं। पार्टी की स्थापना दिवस समारोह के दिन भी सांसदों ने चिराग से दूरी बना ली। चिराग के साथ सिर्फ उनके सांसद भाई प्रिंस पासवान ही दिखे। लोजपा सांसदों ने स्थापना दिवस कार्यक्रम तो मनाया लेकिन चिराग पासवान के साथ नहीं बल्कि अलग-अलग। 

लोजपा सांसदों ने बना ली दूरी

रामविलास पासवान के भाई व हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस दिल्ली में ही रहे। वे पटना में आयोजित स्थापना दिवस समारोह जिसमें चिराग पासवान शामिल हो रहे थे उसमें शामिल नहीं हुए। पारस की तरफ से दिल्ली में ही स्थापना दिवस पर कार्यक्रम आयोजित की गई। वैशाली की सांसद वीणा सिंह भी चिराग पासवान की तरफ से पटना में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत नहीं की।वीणा देवी मुजफ्फरपुर में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। खगड़िया के सांसद महबूब अली कैसर तो पूरी तरह से चिराग से अलग हैं. दोनों के बीच का विवाद तो सार्वजनिक है। कैशर ने अपने बेटे को राजद में शामिल करा कर विधानसभा का टिकट दिलवा दिया था और सिमरी बख्तियारपुर से विधायक बनवा दिया। चिराग ने चुनाव प्रचार के दरम्यान सार्वजनिक मंच से ही अपने सांसद कैसर को खरी-खोटी सुनाई थी। नवादा के सांसद चंदन सिंह बीमार हैं लिहाजा वे किसी कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सके। जानकार बताते हैं कि 28 नवंबर को पार्टी की स्थापना दिवस  कार्यक्रम में पार्टी सांसदों का शामिल नहीं होना यह बताता है कि लोजपा में सबकुछ ठीक नहीं है और चिराग की नीतियों से सांसद खफा हैं. हालांकि लोजपा इस तरह की बात से इनकार कर रही है.


जीता सिर्फ 1 बाकी गये हार

 2020 के विधानसभा चुनाव में 135 सीटों पर कैंडिडेट उतारने वाले चिराग पासवान को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा।जानकार बताते हैं कि लोजपा के जिस कैंडिडेट की जीत हुई है वह चिराग की बदौलत नहीं बल्कि खुद की ताकत के बदौलत विजय मिली। इस चुनाव में चिराग पासवान के पक्ष में ऐसी लहर थी कि भाई भी हार गया।इस बार के विस चुनाव में करारी हार मिलने के बाद चिराग पासवान अब 243 सीटों पर अभी से ही चुनावी तैयारी में जुटने का आह्वान कर रहे। बड़ा सवाल यही है कि क्या आम कार्यकर्ता चिराग के इन बातों में आयेगा? सवाल तो अब यह खड़ा हो गया कि उम्मीदवार कहां से आयेगा? इस बार के चुनाव में ही लोजपा को 135 सीटों के लिए ही उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे। भाजपा के नाराज नेताओं को अपने पाला में लाकर टिकट देने का खेल शुरू हुआ,फिर भी 135 सीटों पर ही उम्मीदवार मिला.

243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटें

लोजपा की स्थापना दिवस पर  चिराग ने कार्यकर्ताओं के नाम पत्र लिखा। पत्र में लिखा, 'बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' संकल्प के साथ अकेले 135 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. वर्ष 2015 का विधानसभा चुनाव एलजेपी ने एडीए गठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था जिसमें पार्टी मात्र दो सीट जीत पाई थी. मुझे गर्व है कि अकेले अपने झंडे के नीचे चुनाव लड़कर पार्टी ने एक मजबूत जनाधार बनाया है. इस चुनाव में हमें एक सीट का नुकसान जरूर हुआ है लेकिन लोक जनशक्ति पार्टी को खुद अपने दम पर 24 लाख वोट मिले और लगभग छह प्रतिशत मत प्राप्त हुआ जो पार्टी के विस्तार का प्रतीक है.' उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के अगले चुनाव वर्ष 2025 से पहले भी हो सकते हैं, इसलिए हमें सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारियों में अभी से लग जाना चाहिए.

भाजपा ने लोजपा से छीन ली पासवान वाली सीट

हद तो तब हो गई जब पूरे पूरे चुनाव के दौरान पीएम मोदी के हनुमान का रट्टा लगाने वाले चिराग पासवान अपने पिता वाली राज्यसभा सीट भी नहीं बचा पाये। बीजेपी ने रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट को भी छीन लिया।इधर रामविलास पासवान के दामाद ने चिराग पासवान पर बड़ा हमला बोला है। पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु ने तो यहां तक कह दिया कि चिराग बिहारी हैं कहां? वे तो अप्रवासी हैं, बिहार से क्या मतलब है इनको?


चिराग अपने गांव की चौहद्दी बता दें?

रामविलास पासवान के दामाद अनिल कुमार साधु ने न्यूज4नेशन से बातचीत में कहा कि चिराग पासवान पूरी तरह से अप्रवासी हैं. बिहार से कोई मतलब नहीं रहा,जिसका जन्म,पढ़ाई-लिखाई सबकुछ बाहर हुआ हो और गांव-जवार से कोई मतलब नहीं रहा हो उसके मुंह से बिहार और बिहारी की बातें शोभा नहीं देती। चिराग के साले साधु ने लोजपा सुप्रीमो को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत है तो वे अपने गांव की चौहद्दी बता दें....उको अपने गांव की चौहद्दी बी पता नहीं हैषजिसको अपने गांव और बिहार की चौहद्दी के बारे में जानकारी नहीं वो कैसे बिहारी हो सकता है ? अनिल साधु ने आगे कहा कि इस बार चिराग पासवान वोट देने गांव गए थे। इसके पहले वे गांव कब गए थे जरा बता दें.....।

पीएम मोदी के नकली हनुमान निकले चिराग

 पासवान के दामाद अनिल साधु ने चिराग पर अटैक करते हुए कहा कि पूरे चुनाव में अपने आप को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग को भाजपा ने राज्यसभा की सीट भी नहीं दी। ये पीएम मोदी के कैसे हनुमान थे जो अपनी पिता की राज्यसभा सीट भी नहीं बचा पाये। रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई सीट को भाजपा ने चिराग  से छीन ली। ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि ये पीएम मोदी के नकली हनुमान थे। चिराग कहते चल रहे थे कि उनके दिल में पीएम मोदी बसते हैं,वे ये कभी नहीं कहे कि उनके दिल में रामविलास पासवान बसते हैं। लेकिन हम उनके दामाद हैं हमारी छाती में एक तरफ रामविलास पासवान हैं तो दूसरी तरफ बाबा साहब अंबेडकर बसते हैं.

लोजपा 21 वां स्थापना दिवस नहीं मना पायेगी

रामविलास पासवान के दामाद ने आगे कहा कि लोजपा का 20 वां स्थापना दिवस कार्यक्रम था। लेकिन हमने देखा कि काफी कम लोग शिरकत किये थे। अधिकांश नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है। जो बचे हुए हैं वो भी आगे चलकर निकलने वाले हैं।रामविलास पासवान के निधन के बाद पार्टी दूसरे एजेंडे पर निकल गई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लोजपा 21 वीं स्थापना दिवस भी नहीं मना पायेगी।

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