लोहार जाति का मोदी सरकार को ये दिया अल्टीमेटम, अपनी मांगो को प्रधानमंत्री तक पहुँचाने की रखी बात

लोहार जाति का मोदी सरकार को ये दिया अल्टीमेटम, अपनी मांगो को

बिहार के औरंगाबाद से लोहार जाति के लोगो ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को अल्टीमेटम देते हुए  साफ तौर से कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले लोहार जाति को अनुसूचित जन जाति का दर्जा नही मिला तो चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को बिहार में 40 लाख लोहारों का वोट नही मिलेगा. यह वोट विरोधी गठबंधन को जा सकता है. यह अल्टीमेटम लोहारों ने बुधवार को औरंगाबाद के देव में बिहार लोहार अनुसूचित जन जाति जागृति मंच के बैनर तले आयोजित राज्यस्तरीय लोहार संवाद यात्रा के समापन समारोह में दिया. समापन समारोह में मुख्य अतिथि मंच के मगध प्रमंडल अध्यक्ष उमेश विश्कर्मा ने कहा कि लोहार समाज ने अनुसूचित जन जाति का दर्जा पाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. इसके बाद  बिहार सरकार ने 2016 में लोहार जाति को अत्यंत पिछड़ा वर्ग की श्रेणी से हटाकर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया था. हमारी जाति को मिला अनुसूचित जनजाति का दर्जा कुछ जातियों को खटकने लगा. इस कारण एक साजिश के तहत बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

उमेश विश्कर्मा ने कहा कि  सर्वोच्च न्यायालय ने 21 फरवरी 2022 को अपने फैसले में राज्य सरकार के वर्ष 2016 के आदेश को निरस्त कर दिया. कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार सरकार ने 21 अप्रैल 2022 को आदेश जारी कर लोहार जाति से अनुसूचित जनजाति का दर्जा वापस ले लिया. इसके बाद से लोहार जाति को दूसरी पिछड़ी जातियों की तरह एनेक्सचर-1 में शामिल कर लेने से अब लोहार जाति को अन्य पिछड़े वर्गों के तहत आने वाली अन्य जातियों की तरह ही सुविधाएं दी जा रही हैं. उन्होने कहा कि 1950, 1958 और 1976 में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया था. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी इसकी अनुशंसा की थी. इन सबके बावजूद संघर्षों के बल पर जब लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला तो इसे एक साजिश के तहत छीन लिया गया. 

 उमेश विश्कर्मा ने कहा कि  लोहार जाति आदि काल से जंगलों में निवास करती रही है. यह जाति अपना भरण पोषण लोहे का औजार बनाकर करती है. इस जाति का जीवन यापन और रहन सहन का स्तर अनुसूचित जनजाति के लोगो के समान है. इस नाते अनुसूचित जाति का दर्जा हमारा हक और अधिकार है. 

 विश्कर्मा ने कहा कि इस अधिकार के लिए लम्बी लड़ाई लड़ने को हमारा समाज तैयार है. समाज ने राज्यव्यापी लोहार संवाद यात्रा से कर दिया है. आज इस यात्रा का समापन हम अपने समाज के आराध्य देव देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाई गई कारीगरी की अप्रतिम कृति देव सूर्य मंदिर की धर्म स्थली देव में कर रहे है.  हम इस यात्रा का समापन कर रहे है लेकिन हमारे संघर्षों और आंदोलन का अभी समापन नही हुआ है. यह अनवरत तबतक चलता रहेगा जबतक कि बिहार में लोहार जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा पुनः नही मिल जाता.