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बिहार के मार्चा धान को मिली वैश्विक पहचान... सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध मर्चा धान को मिला जीआई टैग

बिहार के मार्चा धान को मिली वैश्विक पहचान... सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध मर्चा धान को मिला जीआई टैग

पटना. बिहार के कृषि उत्पाद मर्चा धान को एक नई पहचान मिली है. बिहार के मार्चा धान को अब जीआई टैग मिल गया है. अपनी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध मर्चा धान बिहार में धान की एक स्वदेशी किस्म है, जो पश्चिम चंपारण जिले के कुछ इलाकों में उगाई जाती है. पश्चिम चंपारण जिले में धान की खेती करने वालों के एक पंजीकृत संगठन मार्चा धान उत्पादक प्रगतिशील समूह ने दो साल पहले भौगोलिक संकेत टैग यानी जीआई टैग के लिए आवेदन किया था. अब इसे जीआई टैग मिल गया है. 

बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने रविवार को मार्चा धान को जीआई टैग मिलने पर ख़ुशी जाहिर की. उन्होंने कहा, बिहार के चम्पारण की शान , मर्चा धान को मिला जीआई टैग। बिहार के लिए गौरव का विषय। मर्चा धान, चावल, चूड़ा अपने स्वाद, खुशबू एवं पोषक तत्वों के कारण सर्वत्र प्रसिद्ध हैं। राज्य के अब छः कृषि उत्पाद को जीआई टैग। सभी किसानों तथा पदाधिकारीयों को बधाई।

पश्चिम चंपारण के जिला मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार राय के अनुसार चेन्नई में भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री द्वारा मार्चा धान को जीआई टैग मिल गया है. केंद्र सरकार के जीआई रजिस्ट्रार, चेन्नई की ओर से जारी प्रमाण पत्र को शनिवार को समाहरणालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मर्चा धान उत्पादक सहयोग समिति के अधिकारियों एवं सदस्यों को प्रदान किया गया. 

राय ने कहा कि यह बिहार का छठा कृषि उत्पाद है, जिसने जीआई टैग हासिल किया है. उन्होंने कहा, "यह जीआई टैग अब मार्चा चावल के लिए उत्पादन में वृद्धि और विदेशों में भी एक विस्तारित बाजार के अवसरों के नए द्वार खोलेगा. जीआई टैग मिलने से यहां के किसानों को अब काफी लाभ मिलने को संभावना है. किसानों को अब मर्चा धान का बेहतर दाम मिल पाएगा. 

जीआई टैग वाला बिहार का छठा उत्पाद : इससे पहले बिहार के पांच कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है, जिसमें मुजफ्फरपुर की लीची, भागलपुर का जर्दालु आम, कतरनी चावल, मिथिला का मखाना शामिल है. अब मर्चा धान को जीआई टैग मिलने के बाद बिहार के कृषि उत्पादों की संख्या पांच से बढ़ कर छह हो गई है.


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