DARBHANGA : आगामी 13 जुलाई से "मिथिला डेवलपमेंट बोर्ड"(एमडीबी) की मांग को लेकर विभिन्न जिलों के विभिन्न प्रखंडों में एमएसयू के द्वारा धरना का आयोजन किया जा रहा हैं. मिथिला के लिए 1 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की माँग इस बोर्ड के माध्यम से माँगा जा रहा हैं. एमएसयू के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अमित कुमार ठाकुर ने कहा मिथिला स्टूडेंट यूनियन विगत 3 वर्षों से एमडीबी की मांग को लेकर विभिन्न तरह से आंदोलन करती आ रही हैं. लेकिन सरकार की अनदेखी और मिथिला के प्रति बेरुखी के कारण यह विषय ठंडे बस्ते में पड़ गया है.दिल्ली के संसद भवन से लेकर दरभंगा के राज मैदान तक एवं मिथिला के कोने-कोने में एमडीबी की मांग को लेकर विभिन्न स्वरूपों का आंदोलन पिछले 3 वर्षों से निरंतर किया जा रहा है.
इसी क्रम में 5 अगस्त 2018 को मंडी हाउस से संसद भवन तक पहली बार 10000 की संख्या में मिथिलावासी ने एमडीबी की मांग को लेकर मार्च किया था. तत्पश्चात 1 अक्टूबर 2018 को मिथिला बंद और 2 दिसंबर 2018 को राज मैदान में लगभग 15 हजार लोगों की भीड़ के साथ एमडीबी की मांग को लेकर विशाल रैली का आयोजन किया जा चुका है. इसके अलावे विभिन्न स्तरों पर मांग पत्र के माध्यम से इस आशय का माँग सरकार और सत्ता के समक्ष रखा जा चुका है. एमएसयू के विवि प्रभारी अमन सक्सेना ने कहा की लोकसभा चुनाव के मध्य मिथिला विकास बोर्ड की मांग को गति मिला था. लेकिन चुनाव समाप्त होते ही सभी जनप्रतिनिधि अपने रंग रूप पर वापस लौट गए और विषय को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. विगत वर्ष लोकसभा चुनाव से पूर्व मिथिला स्टूडेंट यूनियन के स्थापना दिवस समारोह में वर्तमान सांसद गोपालजी ठाकुर ने मीडिया के सामने मिथिला विकास बोर्ड के गठन को लेकर संसद में आवाज उठाने की बात कह चुके हैं. लेकिन उन्होंने इस विषय को वापस कभी कहीं पर चर्चा नहीं किया लेकिन संगठन अपनी मांग को लेकर अडिग है..हम तब तक संघर्षरत रहेंगे. जब तक मिथिला के चौमुखी विकास के लिए मिथिला विकास बोर्ड का गठन नहीं हो जाता है.
केंद्र सरकार अक्सर चुनावी सालों से विपक्षी पार्टी शासित राज्य की जनता को लुभाने के लिए राज्यों अथवा विशेष क्षेत्रों को आर्थिक पैकेज की घोषणा करती रही है, पर आश्चर्य है की गरीबी-अशिक्षा-बेरोजगारी-पलायन-अकाल-सूखा-बाढ़ पीड़ित मिथिला जो देश के सबसे गरीब क्षेत्रों में से आता है. उसके लिए अब तक कोई विशेष आर्थिक पैकेज नहीं दिया जा रहा है. विभिन्न पैमानों पर देखा जाए तो मिथिला के लिए विशेष आर्थिक पैकेज आज अत्यंत जरूरी है. क्षेत्र की कृषि उत्पादन बेहद कम हो चुका है, मिथिला क्षेत्र के सारे उद्योग-धंधे यथा चीनी मिल, जुट मिल, सुत मिल, पेपर मिल जैसे कारखाने जो एक समय में हजारों परिवार का भरण पोषण करता था. आज मरणासन्न स्थिति में है और बन्द पड़ा है. हर साल बाढ़ - सुखाड़ हजारों करोड़ और जानमाल का नुकसान करती है, रोजगार का कोई साधन नहीं है और पलायन का अपने सर्वोच्च स्तर पर है. मिथिला के युवा पीढ़ी बेहतर शिक्षा, रोजगार और अच्छे करियर, भविष्य के लिए दिल्ली,मुंबई कोलकाता, हैदराबाद जैसे नगरों को पलायन कर चुके हैं. मजदूर वर्ग के लोग प्रतिवर्ष ट्रेनों में भरकर पंजाब जैसे राज्यों में धान गेहूँ की बुआई और कटनी के लिए जाते हैं.
एमएसयू के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता विद्याभूषण राय ने कहा लगभग 6 करोड़ आबादी और लगभग 20 जिला कवर करने वाले मिथिला को इन सब समस्याओं के एक स्तरीय समाधान के लिए लगभग 1 लाख करोड़ की जरूरत है. ठीक से देखें तो ये रकम बड़ी नहीं है, प्रति व्यक्ति सिर्फ 4000 पड़ता है. पर इससे क्षेत्र की स्थिति में गजब का बदलाव सम्भव है. इस रकम से क्षेत्र में कृषि की स्थिति सुधारने के अलावा हर जिले में चीनी मील, खाद्य प्रसंस्करण एवं अन्य कृषि आधारित उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं. नगदी फसल, बाजार, एवं कृषी आधारित उद्योगों का एक विस्तृत बाजार और विपणन तंत्र स्थापित किया जा सकता है. मछली पालन-कुक्कुटपालन-डेयरी-मखाना-सिंघाड़ आदि उद्योग विकसित किए जा सकते हैं. क्षेत्र में सड़कों-बिजली-रेल-एयरपोर्ट स्थापित किए जा सकते हैं. दरभंगा-भागलपुर-पूर्णिया-मुजफ्फरपुर आदि शहरो को स्मार्ट सिटी बनाया जा सकता है और यहां सर्विस सेक्टर-आईटी इंस्टीट्यूशन्स-टेक्नोलॉजी सेंटर्स और नॉलेज पार्क्स बनाए जा सकते हैं. अस्पतालों-कॉलेजों-यूनिवर्सिटीज की हालत सुधारी जा सकती है, पर्यटन-संस्कृति, कला,भाषा सम्बंधित उद्योग विकसित किया जा सकता है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट, संचार, प्रौढ़ शिक्षा, लाइब्रेरीज, अंत्योदय, इंफ्रास्ट्रक्चर, महिला कल्याण, गरीब-दलित उत्थान, सामाजिक बुराइयों के प्रति जनजागरण आदि पर पैसा खर्चने से स्थिति में सुखद बदलाव होगा और इन सबसे भी महत्वपूर्ण की हर साल के बाढ़-सुखाड़ के संकट से मुक्ति का रास्ता खुलेगा. कुल मिलाकर देखा जाए तो आज मिथिला में व्यापक बदलाव के लिए मिथिला विकास बोर्ड के निर्माण से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है. विश्वविद्यालय कार्यकारणी सदस्य सुशांत कुमार ने कहा संगठन अपनी मांग के प्रति अपने अडिगता को दोहराने के लिए मिथिला के विभिन्न जिलों दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, सुपौल इत्यादि जिलों में प्रखंडवार एक दिवसीय धरना का आयोजन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ करने जा रही है. इसी क्रम में दरभंगा जिले का शेड्यूल निम्नानुसार है.
13 जुलाई बहादुरपुर,हायाघाट,बहेड़ी,बेनीपुर, बिरौल
14 जुलाई कुशेश्वरस्थान पूर्वी+पश्चिमी,किरतपुर,घनश्यामपुर, अलीनगर
15 जुलाई तारडीह,मनीगाछी,केवटी 16 जुलाई जाले,सिंहवाड़ा,दरभंगा सदर
17 जुलाई हनुमान नगर में आंदोलन किया जाएगा.
13 जुलाई से 17 जुलाई तक विभिन्न जिलों के विभिन्न प्रखंडो में यह आंदोलन किया जाएगा