PATNA : पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के राधा देवी जागेश्वरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के पहले शैक्षणिक सत्र में नामांकित हुए 100 से अधिक मेडिकल छात्रों के दाखिले को पटना हाई कोर्ट ने वैध ठहराया है । चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने राष्ट्रीय चिकत्सा परिषद ( नेशनल मेडिकल काउंसिल) की ओर से दायर सभी अपीलों को खारिज कर दी।
कोर्ट ने एकलपीठ के उस निर्णय को सही ठहराया, जिसमें मेडिकल कॉलेज की रिट याचिका को मंजूर कर एकलपीठ ने 2021-22 के प्रथम शैक्षणिक सत्र में दाखिला लिए सौ से अधिक मेडिकल छात्रों के दाखिले को वैध करार दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले से बिहार में 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के लिए शुरू हुआ इस निजी मेडिकल कॉलेज के पहले सत्र के सौ से अधिक मेडिकल छात्रों को काफी राहत मिली है ।
ये मामला यह 150 एमबीबीएस छात्रों के एडमिशन को मंजूरी देने के बाद , परिषद की रेटिंग बोर्ड की एक टीम 26 और 27 नवंबर, 2021 को मेडिकल कॉलेज एवं उसके अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। कई गड़बड़ियां मिलने के कारण निरीक्षण करने वालों ने परिषद को रिपोर्ट कर बताया कि अस्पताल में वांछित 60% की तुलना में मात्र 42% ओपीडी में मरीज मिले और कॉलेज के कई संकाय में शिक्षकों की कमी थी।
इस रिपोर्ट के आधार पर परिषद ने राज्य सरकार को 15 फरवरी,2022 में चिट्ठी निर्गत कर आदेश दिया कि इस मेडिकल कॉलेज के लिए कोई भी दाखिला तुरंत बंद कर दें। राज्य सरकार एवं मेडिकल कॉलेज की तरफ से परिषद को जवाब दिया गया कि एमबीबीएस की 150 सीटों की मंजूरी मिलने के बाद करीब 100 से अधिक छात्रों का नामांकन राज्य की प्रतियोगिता आयोग ने काउंसलिंग के कर चुकी है। ऐसी स्थिति में वे छात्र कहां जाएंगे?
इस जवाब को खारिज करते हुए परिषद ने 18 अप्रैल, 2022 को नामांकन की दी हुई परमिशन को वापस ले लिया।इसके कारण इस मेडिकल कॉलेज के सौ से अधिक छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया।
कॉलेज प्रबंधन ने हाई कोर्ट के एकल पीठ के समक्ष रिट याचिका दायर किया। 23 दिसंबर, 2022 को जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा की एकल पीठ ने उन सभी रिट याचिकाओं को मंजूर करते हुए कहा कि इन 100 छात्रों के नामांकन के बाद अगले शैक्षणिक सत्र 2021-22 के नामांकन लिए वही मेडिकल रेटिंग बोर्ड की निरीक्षण टीम सारी इन्फ्रास्ट्रक्चर सही पाती है व उनके नामांकन को मंजूरी देती है, तो पहले बीच में दाखिला लिए मेडिकल छात्रों के दाखिले को मंजूरी नहीं देना उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना होगा।ये न्याय हित में सही भी नहीं होगा ।