किशोरी और महिलाओं की सेहतमंद जिंदगी का आधार है माहवारी स्वच्छता, समस्यों को दूर करने में लगे हैं नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र

किशोरी और महिलाओं की सेहतमंद जिंदगी का आधार है माहवारी स्वच्

पूर्णिया - मासिक धर्म स्वास्थ्य व स्वच्छता महिलाओं व किशोरियों के सेहतमंद जिंदगी व महिला सशक्तीकरण के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है.अभी भी माहवारी से जुड़े सुरक्षात्मक उत्पाद , स्वच्छता प्रबंधन तक महिला व किशोरियों की पहुंच बेहद सीमित है. शिक्षा की कमी, पारंपरिक सोच , गलत धारणाओं के साथ-साथ स्वच्छता संबंधी बुनियादी इंतजामों का अभाव में आज भी महिला - किशोरियों के शिक्षा, सेहत व सामाजिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है.इसे दूर करने का बीड़ा उठाया है नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र संगठन  नोबा जीएसआर ने.   महिलाओं के सहभागिता के साथ हमारा समाज और देश साथ में प्रगति के तरफ अग्रसर है और इसमें नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र संगठन नोबा जीएसआर का प्रयास है कि प्रोजेक्ट संगनी के तहत महिलाओं को समर्थ और स्वस्थ जीवन जीने में मदद पहुंचाया जाए.

नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती छात्रों की संस्था नोबा जीएसआर ने पिछले 3 वर्षो में 625 सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन लगाई जो कि महिलाओं को ₹ 2 में पैड मुहैया कराने के संकल्प पर खड़ा उतरने का पूर्ण रूप से प्रयास किया है. संगनी प्रोजेक्ट के तहत केवल कोशी प्रमंडल में में कुल २५० से भी ज्यादा मशीन लगाई गई है. आने वाले वक्त में हमारी कोशिश यह रहेगी कि पूर्णिया के हर एक क्षेत्र को सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन की सुविधा से लाभांवित किया जाए. 

नोबा जीएसआर के अध्यक्ष  रमेश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हमेशा से हमारी और हमारी संस्था का यह प्रयास रहा है .पूर्णिया ही नहीं वरन देश के हर क्षेत्र के महिलाओं की माहवारी से संबंधित सारी समस्याएं को जड़ से मिटाया जाए ,जिससे कि हमारे देश की महिलाएं विकास की ओर अग्रसर भारत में अपनी भूमिका को और ज्यादा से ज्यादा सुनिश्चित कर सके !

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 नोबा जीएसआर के अध्यक्ष  रमेश चंद्र मिश्रा ने कहा कि हमारे उद्देश्यों को साकार करने में नेतरहाट पूर्ववर्ती छात्रों सहित अन्य रूट लेवल वॉलंटियर्स का बड़ा योगदान है.  मिश्रा ने उस सभी डोनर्स के प्रति भी अपना आभार प्रकट किया जो एक आह्वाहन पर सामने आये और इस मिशन को यहाँ तक पहुंचने में मदद की ! जब  देश का हर  नागरिक सशक्त  होगा तभी देश की एक प्रगतिशील तस्वीर की कल्पना को सच कर पाएंगे इसके लिए बहुत जरूरी है की महिलाये स्वतंत्र एवम् जागरूक हों.