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पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, कोर्ट पहले हीं लगा चुकी है फटकार

पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, कोर्ट पहले हीं लगा चुकी है फटकार

दिल्ली- भ्रामक विज्ञापन के मामले में आज पतंजलि आयुर्वेद की देश का सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई होगी. भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की है. 

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. जस्टिस अमानुल्लाह ने पिछली सुनवाई में कहा था कि- पतंजलि आयुर्वेद को सभी झूठे और भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा. कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगा सकता है.

कोर्ट ने निर्देश दिया था कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में उसकी ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमेंट न दिए जाएं. बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को 'एलोपैथी बनाम आयुर्वेद' की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है.

बता दे साल 2023 में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ बयान देने के लिए बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी. भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने तब कहा था 'बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना क्यों करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में 23 अप्रैल  को पतंजलि  के भ्रामक प्रचार मामले पर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे. कोर्ट ने केंद्र की ओर से ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट में नियम 170 को होल्ड पर रखने पर सवाल किया.ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 170 के मुताबिक, आयुष  ड्रग्स का प्रोमोशन या एडवरटाइजमेंट करने के लिए लाइसेंस देने वाली अथॉरिटी की मंजूरी चाहिए होगी. बिना मंजूरी के आयुष ड्रग्स का प्रोमोशन या एडवरटाइजमेंट नहीं किया जा सकता है.इस नियम का मनमाने तरीके से उल्लंघन करने पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या वो अपने रेवेन्यू पर ज्यादा ध्यान दे रही है या फिर पब्लिक के लिए क्या छप रहा है, उस पर?

बाबा रामदेव  और आचार्य बालकृष्ण  की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने 67 अखबारों में इस मामले के संबंध में माफीनामा छपवाया है.पतंजलि के कई एडवरटाइजमेंट में दिखाया गया कि उनकी दवाएं कितनी तरह की बीमारियों के इलाज में काम आ सकती हैं और इसके साथ ही एलोपैथिक और मॉडर्न दवाओं को नीचा भी दिखाया गया. कोर्ट ने पहले कहा था कि वो भ्रामक प्रचार करने वाली उन सभी संस्थाओं पर भारी जुर्माना लगाएगी जो अस्थमा और मोटापे  का इलाज बताने का दावा करती हैं. उस वक्त, पतंजलि ने कोर्ट में कहा था कि वो सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी तरह की दवाओं की क्षमता को नीचा दिखाने वाला कोई भी बयान मीडिया में जारी नहीं किया जाएगा.


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