BETIAH : केन्द्र और राज्य सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढाओ अभियान चलाकर बेटियों को बचाने मे लगी है. उसके लिए दोनों सरकारों की स्तर पर कई तरह की योजनायें चलाई जाती है. लडकियां अब परिवार पर बोझ नहीं मानी जाती. वे हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर काम कर रही है.
इसके बावजूद दकियानूसी विचार के लोग लड़कियों को बोझ मानकर उसे पैदा होते ही मरने के लिए फेंक देते हैं. इस दौरान माँ की ममता को भी काठ मार जाता है. वह भी अपने दिल पर पत्थर रखकर इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती हैं. अपनी कोख में नौ महीने तक लालन-पालन करने के बाद अपने कलेजे के टुकड़े को मरने के लिए छोड़ देती है.
ऐसी ही एक हृदयविदारक घटना पश्चिम चंपारण जिले में सामने आई है. एक नवजात बच्ची को उसके माँ-बाप ने सिर्फ इसलिए मरने के लिए फेंक दिया की वह लड़की थी. उस नवजात लड़की को पुल किनारे पर कौओं और कुत्तों के खाने के लिए फेंक दिया गया था. उसे जिन्दा हालत में शिकारपूर थाना क्षेत्र के पंडई पुल के नीचे एक लावारिश हालत में फेंका गया था.
जब ग्रामीणों की नजर उस नवजात पर पड़ी तो तत्काल उसे उठाकर नरकटियागंज अनुमंडलीय अस्पताल ले गए. जहां प्राथमिक उपचार के बाद चाइल्ड लाइन और शिशु अडॉप्ट को सूचना देकर उन्हें सौप दिया गया. बच्ची की इलाज के बाद स्थिति नियंत्रण में हैं.
बेतिया से आशीष कुमार गुप्ता की रिपोर्ट