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बिहार में मुस्लिम आबादी अधिक, राजद के इस नेता को प्रदेश का सीएम बनाएं लालू-नीतीश, पूर्व भाजपा नेता ने कहा - पटना के एक कमरे में बैठकर बनाई गई फर्जी रिपोर्ट

बिहार में मुस्लिम आबादी अधिक, राजद के इस नेता को प्रदेश का सीएम बनाएं लालू-नीतीश, पूर्व भाजपा नेता ने कहा - पटना के एक कमरे में बैठकर बनाई गई फर्जी रिपोर्ट

PATNA : बिहार में जबसे जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई है। उसके बाद बिहार की राजनीति में बयानबाजी तेज हो गई है। जहां जदयू-राजद ने रिपोर्ट को ऐतिहासिक बताया है। वहीं भाजपा ने रिपोर्ट की विश्वसनियता पर सवाल उठाए हैं। इन सबके बीच प्रदेश मुस्लिम आबादी अधिक होने के कारण अब मुस्लिम मुख्यमंत्री बनाने की मांग भी तेज हो गई है। भाजपा के  पूर्व प्रदेश महामंत्री और भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए कहा कि अब उन्हें बिहार के सीएम पद पर रहने का अधिकार नहीं है, इसलिए वह इस्तीफा दें और किसी मुस्लिम को सीएम बनने का मौका दे। भाजपा नेता ने मुस्लिम नेता का नाम भी सुझाया है।

 भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने कहा हम मांग करते हैं कि बड़े मन से महागठबंधन सबसे बड़ी आबादी से आने वाले अब्दुल बारी सिद्दीकी को मुख्यमंत्री घोषित कर तेजस्वी यादव, अति पिछड़ा और दलित वर्ग से तीन उपमुख्यमंत्री घोषित कर चुनाव में उतरे। वहीं एनडीए शाहनवाज हुसैन को मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी, अति पिछड़ा एवं दलित वर्ग से उपमुख्यमंत्री घोषित कर चुनाव में आए। सवर्ण समाज को इससे कोई दिक्कत नहीं होगी।

रिपोर्ट को बताया गया फर्जी

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश महामंत्री और भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के कार्यकारी अध्यक्ष सुधीर शर्मा ने बिहार सरकार द्वारा जारी जातीय गणना रिपोर्ट को राजनीतिक जातीय गणना रिपोर्ट बताया है, जो बिल्कुल फर्जी, मनगढ़ंत और कमरे में बैठकर तैयार किया गया है। ब्लॉक या जिला स्तर से होते हुए राज्य स्तर पर इसे घोषित करना चाहिए था लेकिन बीडीओ और कलेक्टर आज भी अंधकार में हैं। उन्हें कोई जानकारी नहीं है। राज्य सरकार ने कौन सा ऐसा समानांतर सिस्टम खड़ा किया जिससे बिना ब्लॉक या जिला की जानकारी के आंकड़ा उसे उपलब्ध हो गया? वैसे आंकड़े की विश्वसनीयता प्रमाणिक कैसे मानी जाएगी?

सुप्रीम कोर्ट जज की देररेख में सर्वे

       कुछ जातियों को जानबूझकर काम दिखाया गया है ताकि राजनीतिक रूप से उनके मनोबल को कम किया जा सके। कुशवाहा, धानुक, मल्लाह, भूमिहार, ब्राह्मण, राजपुत जैसी कई जातियों की जनसंख्या साजिश के तहत कम दिखाया गया है। हजारों घरों में मेरी जानकारी में कोई संख्या पूछने के लिए नहीं आया। आखिर कैसी जातीय गणना हुई है?सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में निष्पक्ष जनगणना होनी चाहिए।

    

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